मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में 10 नवंबर 1971 को जन्मे सीनियर साइंटिस्ट समीर खांडेकर की उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में हार्ट फेल हो जाने से मृत्यु हो गई। श्री खांडेकर आईआईटी कानपुर में एल्युमिनी मीट में सेहत पर भाषण दे रहे थे कि तभी अचानक बेहोश हो गए। उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर प्रोफेसर समीर खांडेकर के बारे में
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर प्रोफेसर समीर खांडेकर की उम्र 55 वर्ष थी। उनका जन्म मध्य प्रदेश के जबलपुर में दिनांक 10 नवंबर 1971 को हुआ था। सन 2000 में आईआईटी कानपुर से बीटेक और सन 2004 में जर्मनी से पीएचडी करने के बाद असिस्टेंट प्रोफेसर के पद से अपने करियर की शुरुआत की थी। स्वर्गीय खांडेकर मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के सीनियर साइंटिस्ट थे। उनके नाम पर 8 पेटेंट हैं। सन 2019 में पहली बार उनका कोलेस्ट्रॉल लेवल सामान्य से ज्यादा पाया गया था, और उन्होंने सफलतापूर्वकों से कंट्रोल कर लिया था। माना जा रहा है कि डॉक्टर खांडेकर की मृत्यु हार्ट अटैक के कारण हो गई है।
कार्डियक अरेस्ट नहीं मायोकार्डाइटिस
इस तरह की मृत्यु के मामले में ज्यादातर डॉक्टर कार्डियक अरेस्ट यानी हार्ट अटैक बताते हैं परंतु कुछ मरीजों का पोस्टमार्टम किया गया और उसके बाद पता चला कि, यह हार्ट अटैक नहीं बल्कि मायोकार्डाइटिस है। लक्षण हृदयघात जैसे होते हैं परंतु इसमें हार्ट फेल हो जाता है। इसीलिए डॉक्टर कोशिश करने के बाद भी बचा नहीं पाते। दिल्ली के प्रतिष्ठित कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. एडी भटनागर के मुताबिक मायोकार्डाइटिस या मायोकार्डियम हार्ट की मांसपेशियों की सूजन की स्थिति है। सूजन के परिणाम स्वरूप हार्ट के खून को पंप करने की क्षमता को नुकसान हो सकता है। सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ और तेज या अनियमित दिल की धड़कन, ये सभी मायोकार्डाइटिस (अतालता) के लक्षण हैं। आमतौर पर इस तरह के लक्षणों को हृदय घाट के लक्षण माना जाता है।
मायोकार्डाइटिस का कारण - myocardium in hindi
MYOCARDIUM Means Muscle Layer of Heart वायरस के संक्रमण के कारण हो सकता है और यह दवा की प्रतिक्रिया (किसी दवाई का रिएक्शन) या सामान्य सूजन संबंधी बीमारी के कारण भी हो सकता है। गंभीर मायोकार्डाइटिस हार्ट को कमजोर कर देता है जिससे शरीर के बाकी हिस्सों में अपर्याप्त रक्त प्रवाह होता है। दिल में थक्के के कारण स्ट्रोक या दिल का दौरा पड़ सकता है।
मायोकार्डाइटिस से बचाव के उपाय
हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. सरिता राव ने बताया कि मायोकार्डाइटिस हार्ट अटैक नहीं है। चिकित्सकीय भाषा में कहें तो यह इनफ्लेमेशन ऑफ मायोकार्डियम है। यह किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है। सामान्य बुखार में भी कई बार वायरस हार्ट पर अटैक कर देता है। जिससे हार्ट की पंपिंग कमजोर हो जाती है और हार्ट फेल हो जाता है। यह वायरल इंफेक्शन होता है, लेकिन यह रिवर्सेबल भी हो जाता है।
बुखार के बाद सांस फूलने लगे तो एक्सपर्ट डॉक्टर को दिखाएं
जब बीमारी एक्यूट फेज निकल जाता है तो मरीज में सुधार आ जाता है। मायोकार्डाइटिस, हार्ट अटैक से अलग होती है। यह हार्ट की मसल्स को प्रभाव करती है। जब भी वायरल बुखार के बाद सांस तेज फूलने लगे तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। सामान्य रूप से बुखार में कभी सांस नहीं फूलती लेकिन सांस लेने में तकलीफ होने लगे तो एक्सपर्ट डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
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