मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में शर्मनाक शिकस्त के लिए कांग्रेस पार्टी के हाई कमान ने कमलनाथ को ही जिम्मेदार माना है। EVM और विधायकों को अपने ही गांव में 50 वोट वाला बहाना नहीं चल पाया। मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के नए चेहरों की तलाश शुरू हो गई है। प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष दोनों पदों पर हाई कमान को दो नए चेहरे चाहिए, ताकि लोकसभा चुनाव में पार्टी का इतना खराब प्रदर्शन ना रहे। वैसे भी कमलनाथ के सामने अपनी छिंदवाड़ा सीट बचाना सबसे बड़ी चुनौती होगी।
मध्य प्रदेश की 16वीं विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के लिए इन नामों पर विचार
राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे के सामने मध्य प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष के लिए कुछ नाम का प्रस्ताव आया है। नंबर वन पर चुरहट विधायक श्री अजय सिंह राहुल का नाम है। पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय अर्जुन सिंह के सुपुत्र हैं, इसलिए हाई कमान गंभीरता से विचार कर रहा है परंतु पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह के संरक्षण में राजनीति करते हैं, इसलिए पिछली बार भी नाम की घोषणा नहीं हो पाई थी और इस बार भी विकल्प पर विचार किया जा रहा है।
डिंडोरी विधानसभा से विधायक श्री ओंकार सिंह मरकाम, लगातार चौथी बार चुनाव जीते हैं। कांग्रेस पार्टी का आदिवासी चेहरा है और डिंडोरी एवं आसपास को छोड़कर मध्य प्रदेश की ज्यादातर इलाकों में लोग इन्हें ठीक प्रकार से नहीं जानते इसलिए, एक नया आदिवासी चेहरा का फायदा मिल सकता है।
श्योपुर जिले की विजयपुर विधानसभा से विधायक श्री रामनिवास रावत एक मजबूत नाम है। कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता है और निष्ठावान भी है। मध्य प्रदेश कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष रह चुके हैं। इस बार अपनी दम पर चुनाव जीते हैं, लेकिन दिल्ली में हाई कमान के सामने उनकी विशेषताएं बताने के लिए कोई नहीं है।
कांग्रेस पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के श्री अरुण यादव के छोटे भाई एवं कसरावद सीट से कांग्रेस विधायक श्री सचिन यादव और गंधवानी सीट से विधायक श्री उमंग सिंघार के नाम पर भी विचार चल रहा है। शायद यही कारण है कि पिछले दिनों श्री उमंग सिंघार ने पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह से सार्वजनिक रूप से माफी मांगी है, ताकि कोई विघ्न न रहे और सारे कलेश मिट जाए।
मध्य प्रदेश कांग्रेस पार्टी प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए 3 युवा चेहरों पर विचार
कांग्रेस पार्टी के हाई कमान ने मध्यप्रदेश की कमान किसी युवा नेता को देने का फैसला किया है। इस लिस्ट में सबसे पहला नाम श्री जीतू पटवारी का है परंतु हाल ही में वह राऊ विधानसभा से चुनाव हार गए हैं। इससे पहले तक कहा जाता था कि, राऊ विधानसभा के लोगों से श्री जीतू पटवारी का व्यक्तिगत संबंध है और भारतीय जनता पार्टी के परंपरागत वोटर भी विधानसभा चुनाव में श्री जीतू पटवारी को वोट देते हैं। इस शर्मनाक हार के कारण श्री जीतू पटवारी का दावा कमजोर पड़ गया है।
झाबुआ सीट से चुनाव जीते विधायक श्री विक्रांत भूरिया का नाम प्रस्तावित किया गया है। आदिवासी हैं, युवा नेता है, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष श्री कांतिलाल भूरिया के सुपुत्र हैं और EVM में गड़बड़ी (श्री कमलनाथ और श्री दिग्विजय सिंह के अनुसार) के बाद भी चुनाव जीत गए हैं। इनके पर्ची में कई आंदोलन के फोटो और वीडियो संलग्न हैं।
विधानसभा चुनाव 2023 में सारा कैलकुलेशन फेल हो जाने के बावजूद, शर्मनाक हार की जिम्मेदारी लेने के स्थान पर, हार का ठीकरा ईवीएम मशीन पर फोड़ने के लिए बेतुके आंकड़े जुटा रहे श्री दिग्विजय सिंह को जैसे ही पता चला कि प्रदेश अध्यक्ष के पद पर युवा चेहरे की तलाश चल रही है तो उन्होंने, राघौगढ़ विधानसभा से मात्र 5000 वोटो से चुनाव जीते अपने सुपुत्र एवं राजनीतिक उत्तराधिकारी श्री जयवर्धन सिंह का नाम आगे बढ़ा दिया है। हालांकि हाई कमान को पता है कि श्री जयवर्धन सिंह को कांग्रेस पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाने का मतलब है, पार्टी की कमान श्री दिग्विजय सिंह के हाथ में दे देना।
सूत्रों का कहना है कि, परफेक्ट नाम की तलाश अभी भी जारी है और कांग्रेस पार्टी का हाई कमान अभी तक किसी फैसले पर नहीं पहुंच पाया है। यानी उपरोक्त में से कोई भी हंड्रेड आउट ऑफ़ हंड्रेड नहीं है।
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