मध्य प्रदेश शासन स्कूल शिक्षा विभाग के कर्मचारी सहित भारत के उन सभी कर्मचारियों के लिए यह एक महत्वपूर्ण खबर है जिनका, प्रमोशन देने के बाद योग्यता के आधार पर डिमोशन कर दिया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रौढ़ शिक्षा अधिकारी विरुद्ध प्राचार्य स्कूल शिक्षा मामले में बिना योग्यता (BEd-DElEd) वाले अधिकारियों का प्रमोशन रद्द करने से इनकार कर दिया है।
अयोग्य कर्मचारियों को प्रमोशन का विवाद
मध्य प्रदेश में सन 1991 में प्रौढ़ शिक्षा अधिकारी के पदों पर भर्ती की गई थी। इनका काम था 40 वर्ष से अधिक आयु के निरक्षर नागरिकों को साक्षर बनाना। यानी उन्हें अपना नाम लिखना, पढ़ने एवं हस्ताक्षर करना सिखाना। यह नृत्य सरकार के विशेष अभियान के तहत हुई थी। इस हेतु कोई योग्यता (BEd-DElEd) निर्धारित नहीं की गई थी। अस्थाई अभियान के लिए स्थाई कर्मचारियों की नियुक्ति कर दी गई थी। मध्य प्रदेश शासन स्कूल शिक्षा विभाग प्राचार्य कैडर के अधिकारियों का कहना है कि, प्रौढ़ शिक्षा अधिकारियों ने अयोग्य होने के बावजूद स्कूल शिक्षा विभाग में विभिन्न पदों पर पदोन्नति प्राप्त कर ली है। शासन द्वारा इन सभी को नियम वृद्धि प्रमोशन दिए गए हैं जिन्हें रद्द किया जाना चाहिए। प्राचार्य कैडर के अधिकारियों का कहना है कि जिन पदों पर, इनका प्रमोशन हुआ है उन पदों पर प्राचार्य कैडर के अधिकारियों की पदस्थापना होनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला किया
भारत की राजधानी दिल्ली स्थित सर्वोच्च न्यायालय के विद्वान न्यायमूर्ति श्री अभय एस.ओका और न्यायमूर्ति श्री राजेश बिंदल की पीठ द्वारा अपील पर सुनवाई की गई। दिनांक 7 दिसंबर को सुनवाई की प्रक्रिया पूरी हो गई थी। निर्णय सुरक्षित कर लिया गया था। आज सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए। प्राचार्य वर्ग की याचिका खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के उसे फैसले को सही माना है जिसमें कहा गया है कि प्रौढ़ शिक्षा के कर्मचारियों का शिक्षा विभाग में नीतिगत विलय किया गया और कैटिगरी वाइज सीनियरिटी डिसाइड की गई थी। इस तरह के मामलों में न्यायालय दखल नहीं देता।
important information
Case Title: Praful Shukla and Others vs. State of Madhya Pradesh and Others
Bench: Justices Abhay S.Oka and Rajesh Bindal
Case No.: Civil Appeal No. 786 of 2013
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