भारत में लगभग 20 करोड लोग ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं और इस दौरान कई सारी परेशानियों से गुजरते हैं। भारत में कई समस्याओं के समाधान के लिए कोई कानून नहीं था, परंतु दिनांक 30 नवंबर 2023 से केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA), भारत सरकार ने ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर डार्क पैटर्न के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। ऑनलाइन खरीदारी करने वालों के लिए यह समझना जरूरी है कि डार्क पैटर्न क्या होता है और इसके खिलाफ कहां शिकायत की जा सकती है। किस प्रकार अपना पैसा वापस प्राप्त किया जा सकता है।
डार्क पैटर्न क्या है, किस प्रकार उपभोक्ताओं को नुकसान पहुंचता है
कानूनी भाषा में, डार्क पैटर्न को किसी भी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर यूजर इंटरफेस या यूजर अनुभव इंटरैक्शन का इस्तेमाल करके किसी भी अभ्यास या भ्रामक डिज़ाइन पैटर्न के रूप में परिभाषित किया गया है जो यूजर को कुछ ऐसा करने के लिए गुमराह करने या धोखा देने के लिए डिजाइन किया गया है जो मूल रूप से उनका इरादा नहीं था या करना नहीं चाहते थे।
डार्क पैटर्न के उदाहरण
- ऑनलाइन खरीदारी के दौरान डिस्काउंट के साथ काउंटडाउन शुरू कर देना ताकि उपभोक्ता को फैसला लेने के लिए पूरा समय न मिल पाए।
- ऑनलाइन खरीदारी के समय छोटे फोंट साइज में लिखी गई शर्तें।
- कैंसिलेशन के बटन को गायब कर देना या फिर उसमें कोई तकनीकी गड़बड़ कर देना ताकि क्लिक करने में कठिनाई हो।
- विज्ञापनों को समाचार के रूप में प्रदर्शित करना।
- विज्ञापनों को किसी चर्चित व्यक्ति के समर्थन के रूप में दिखाना।
- ऑटोप्ले वीडियो यानी ऐसे वीडियो जो स्क्रीन पर अपने आप चलने लगते हैं और उपभोक्ता को उसकी अनुमति के बिना आकर्षित करते हैं।
- उपभोक्ता को ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर अकाउंट बनाने के लिए मजबूर करना।
- फ्री ट्रायल समाप्त होने के बाद बिना सूचना दिए चार्ज लगा देना।
- उपभोक्ता के जानने योग्य जानकारी के फॉन्ट का कलर बैकग्राउंड के समान कर देना ताकि वह दिखाई ना दे। या फिर बहुत ध्यान से देखने पर ही दिखाई दे।
- एक विश्व स्तरीय वेबसाइट द्वारा कैंसिलेशन की प्रक्रिया को काफी जटिल बना दिया गया था। अब यह गैरकानूनी है।
- दुनिया की कई देशों में फेमस और सबसे ज्यादा उपयोग की जाने वाली एक वेबसाइट द्वारा अपने उपयोगकर्ताओं को प्रभावित करने के लिए प्रभावशाली लोगों की तरफ से मैसेज भेजे जाते थे। अब यह गैरकानूनी है।
- ऐसे वीडियो जिनमें स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देता कि वह विज्ञापन है और उन्हें सोशल मीडिया पर रील्स के बीच में ऑटो प्ले कर दिया जाता है, अब डार्क पैटर्न के अंतर्गत आते हैं।
डार्क पैटर्न का शिकार उपभोक्ता क्या कर सकता है
उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने बताया कि उभरते डिजिटल वाणिज्य में, उपभोक्ताओं को उनकी खरीदारी के विकल्पों और व्यवहार में हेरफेर करके गुमराह करने के लिए प्लेटफार्मों द्वारा डार्क पैटर्न का तेजी से इस्तेमाल किया जा रहा है। दिनांक 30 नवंबर 2023 को केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण द्वारा जारी अधिसूचना के बाद पीड़ित ग्राहक, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार ई-कॉमर्स प्लेटफार्म के खिलाफ दावा पेश कर सकता है और जुर्माना वसूल सकता है।
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