मध्य प्रदेश शासन और 50 लाख मकान मालिकों के लिए बड़ी चिंता का विषय है। संभावना व्यक्त की गई है कि, उनका पूरा डाटा हैकर्स के पास पहुंच गया है। अपराधी इस जानकारी का क्या करेंगे, कोई कुछ नहीं कह सकता। प्रॉपर्टी पर लोन लिया जा सकता है या फिर फर्जी रजिस्ट्री के माध्यम से किसी को बेचा भी जा सकता है। दरअसल मध्य प्रदेश नगरीय निकाय की वेबसाइट हैक हो गई है और अब तक उसका डाटा रिकवर नहीं किया जा सका है।
सरकारी जानकारी प्राइवेट कंपनी के हाथ में थी, इसलिए चोरी हो गई
मामला काफी गंभीर हो गया है। गृह विभाग मंत्रालय के अपर मुख्य सचिव श्री राजेश राजौरा ने मध्य प्रदेश पुलिस साइबर सिक्योरिटी, इंटेलिजेंस और इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी से जुड़े अधिकारियों की एक मीटिंग बुलाई। उन्होंने सभी अधिकारियों से 7 दिन के भीतर इस मामले में रिपोर्ट मांगी है। प्रारंभिक तौर पर है अधिकारियों का कहना है कि, ई नगर पालिका का संचालन करने वाली प्राइवेट कंपनी इस मामले की दोषी है। उन्होंने प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया। साइबर सिक्योरिटी के इंतजाम नहीं किया। इसके कारण पूरा पोर्टल हैक हो गया है।
हैकर प्रॉपर्टी के डाटा का क्या कर सकते हैं
इंटरनेट की दुनिया में हैकर का काम DATA AND DOCUMENT चोरी करना होता है। वह आपके मोबाइल फोन या कंप्यूटर में घुस जाते हैं और पूरा डाटा कॉपी करके ले जाते हैं। इसके बाद डाटा को दूसरे अपराधियों को बेच देते हैं। प्रॉपर्टी के दस्तावेजों में 2 प्रकार के अपराध मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा पाए गए हैं। प्रॉपर्टी के डॉक्यूमेंट उपयोग करके कोई अज्ञात व्यक्ति बैंक वालों से मिलकर लोन ले लेता है। प्रॉपर्टी के मालिक बताएं तब पता चलता है जब संपत्ति कुर्की का नोटिस आता है। आपको अपनी ही संपत्ति की कुर्की रोकने के लिए जमीन आसमान एक करना पड़ सकता है।
यदि कोई प्लाट खाली पड़ा हुआ है अथवा मकान खाली है तो उसकी फर्जी रजिस्ट्री हो सकती है। उसके बाद अपराधी आपके मकान अथवा प्लॉट पर कब्जा कर लेंगे। आपको अपनी संपत्ति वापस पाने के लिए कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ेंगे।
प्रॉपर्टी मालिक के हस्ताक्षर का दुरुपयोग हो सकता है
प्रॉपर्टी के दस्तावेजों पर प्रॉपर्टी मालिक के कई जगह हस्ताक्षर होते हैं कुछ ऐसे भी होते हैं जिन्हें कट करके आसानी से निकाला जा सकता है और किसी दूसरी जगह उपयोग किया जा सकता है।
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