मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के खुलारे इलाके में कलियासोत नदी के 33 मीटर के दायरे में आ रहे सभी निर्माण कार्यों को तोड़ने की कार्रवाई पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा रोक लगा दी गई है। शुक्रवार की सुबह कार्रवाई होनी थी और गुरुवार को हाई कोर्ट से स्टे आर्डर जारी हो गए। इस क्रिया में करीब 700 से अधिक लोगों के घर टूटने वाले थे।
सरकार ने बिल्डिंग परमिशन देकर नदी पर अतिक्रमण करवाया है
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निर्देश के बाद नगर निगम ने कलियासोत नदी के 33 मीटर के दायरे में आ रहे निर्माण करने वालों को नोटिस दिया है। अब तक 700 से अधिक लोगों को नोटिस दिए जा चुके हैं। रहवासियों का कहना था कि नगर निगम समेत अन्य एजेंसियों की अनुमति के आधार पर ही मकानों का निर्माण किया गया है, फिर यह अवैध कैसे हो सकते हैं। मामले में रहवासियों ने निगम कमिश्नर फ्रैंक नोबल ए. के सामने भी पक्ष रखा था।
शाम साढ़े 4 बजे तक चलती रही सुनवाई
हाईकोर्ट में सागर प्रीमियम फेस-2 के रहवासियों के पक्षकार एडवोकेट आर्यन उरमलिया ने बताया कि नगर निगम द्वारा नोटिस दिए जाने के मामले में रहवासियों की तरफ से उच्च न्यायालय में याचिका लगाई गई थी। इस पर गुरुवार को सुनवाई हुई। शाम साढ़े 4 बजे तक मामले में सुनवाई चलती रही।
4 सप्ताह में जवाब देने को कहा गया
सिग्नेचर 99 रहवासी रखरखाव सहकारी संस्था के अध्यक्ष राजेश अवस्थी ने बताया कि नगर निगम के नोटिस को लेकर रहवासियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। निगम को अगले 4 सप्ताह में जवाब देने को कहा गया है।
यह है मामला
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने 11 अगस्त को आदेश दिया था कि भोपाल की नदी कलियासोत के 33-33 मीटर के ग्रीन बेल्ट को आरक्षित किया जाए। इसके लिए 31 दिसंबर तक चिन्हांकन सीमांकन कर अतिक्रमण को हटाया जाकर ग्रीनरी डेवलप की जाए। इस अवधि में जिला प्रशासन ने सीमांकन का काम पूरा कर लिया। वहीं, नगर निगम ने लोगों को नोटिस भी दे दिए। मामले में शासन को आदेश के पालन की एक रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के समक्ष 15 जनवरी से पहले सौंपना है। हालांकि, इससे पहले निगम के नोटिस पर रहवासियों को स्टे मिला है।
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