BHOPAL NEWS - डिप्टी सीएम शुक्ला को आदेश वापस लेना पड़ा, डॉ अरुणा की नियुक्ति का मामला

Bhopal Samachar
मध्य प्रदेश की मोहन सरकार पर पहला सवाल उठ गया है। डिप्टी सीएम श्री राजेंद्र शुक्ल ने मध्य प्रदेश की सबसे विवादित महिला अधिकारियों में से एक डॉक्टर अरुणा कुमार को गांधी मेडिकल कॉलेज में पदस्थ कर दिया था। इस आदेश के विरोध में जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल कर दी। श्री शुक्ला को 24 घंटे के भीतर अपना आदेश वापस लेना पड़ा। 

विभागीय जांच के बावजूद चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने पोस्टिंग के आदेश जारी कर दिए

उल्लेखनीय की जूनियर डॉक्टर बाला सरस्वती सुसाइड मामले में आरोपित डॉ अरुणा कुमार को हेड ऑफ द गायनेकोलॉजी डिपार्मेंट गांधी मेडिकल कॉलेज से हटा दिया गया था। उस वक्त जूनियर डॉक्टरों ने डॉ अरुणा कुमार के खिलाफ हड़ताल की थी। तभी से डॉ अरुणा कुमार, अपनी पुरानी कुर्सी तक पहुंचाने की कोशिश कर रही है। सरकार बदलने के बाद मौका मिलते ही डॉ अरुणा कुमार ने उप मुख्यमंत्री एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री राजेंद्र शुक्ला से संपर्क किया और विभागीय जांच चलने के बावजूद श्री शुक्ल ने डॉ अरुणा कुमार की पोस्टिंग के आदेश जारी कर दिए। 

डॉ अरुणा कुमार नाम से हाहाकार मच जाता है

इस आदेश के खिलाफ जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल कर दी थी। गुरुवार को काली पट्टी बांधकर काम किया था। ऐलान किया था कि यदि शुक्रवार दोपहर 2:00 बजे तक डॉ अरुणा कुमार की पोस्टिंग का आदेश निरस्त नहीं किया गया तो 28 डिपार्टमेंट के 450 जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले जाएंगे। डॉ अरुणा कुमार का डिपार्टमेंट में किस स्तर पर विरोध है, इसका अंदाज केवल इस बात से लगा सकते हैं कि आठ सीनियर डॉक्टर भी मुख्यमंत्री, NPTA और चिकित्सा शिक्षा विभाग से डॉ अरुणा कुमार को हटाने की मांग कर चुके हैं। तीन जूनियर डॉक्टर अपनी डिग्री छोड़कर चले गए। गर्भवती सरस्वती को सुसाइड करना पड़ा। 

डबल पर्सनालिटी की महिला है, अत्यधिक तानाशाही पूर्ण विध्वंसकारी, शिकायत में लिखा है

हमीदिया की महिला एवं प्रसूति विभाग में काम करने वाली सीनियर डॉक्टर्स ने लिखा- पूर्व में विभागाध्यक्ष डॉ. अरुणा कुमार के बारे में हकीकत बताना चाहते हैं। मानसिक रूप से इस महिला द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है। वह एक डबल पर्सनालिटी की महिला है। उनकी कार्यप्रणाली अत्यधिक तानाशाही पूर्ण विध्वंसकारी व बदला लेने की प्रवृत्ति से परिपूर्ण है। वह खौफ बनाकर सीनियर व जूनियर से निगेटिव तरीकों से एक्जीक्यूट करवाती रही हैं। जब भी विभाग में कोई विपदा आती है, तो पद व पावर का दुरुपयोग कर किसी न किसी को (संकाय सदस्य) सॉफ्ट टारगेट बनाकर बलि चढ़वा देती हैं। अपने विभाग की उपलब्धियों का क्रेडिट स्वयं लेकर हायर अथॉरिटी को प्रस्तुत कर फेवर में कर लेती हैं। अधीनस्थ बाकी फैकल्टी को मैसेज जाता है कि अगर इनके इच्छानुसार कठपुतली न बने तो उस फैकल्टी का करियर खराब कर दिया जाएगा।

पहले भी कई संकाय सदस्य नौकरी छोड़ चुके हैं 

सीनियर डॉक्टर ने शिकायत में आगे लिखा है- इज्जत बचाने के लिए 2005 से इनके कार्यकाल के दौरान संकाय सदस्यों ने नौकरी छोड़ी है। रिक्त पदों पर कोई भी डॉक्टर इस विभाग में नहीं आना चाहता। उनके द्वारा लगभग सभी की सीआर खराब की गई है, जिसकी शिकायत पूर्व में भी कई बार की गई पर इनकी विध्वंसकारी प्रवृत्ति के कारण अधिकारियों द्वारा भी इसको इग्नोर किया गया है। इसी प्रवृत्ति के कारण उच्च अधिकारी भी मौन धारण किए हैं।

मानसिक रूप से प्रताड़ित करती हैं 

शिकायत में लिखा- डॉ. अरुणा कुमार द्वारा हम सबको मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता रहा है। व्यक्तिगत कमेंट किए जाते हैं एवं अभद्र व्यवहार पर उतर आती हैं। उनकी इस प्रताड़ना के कारण हम सभी फैकल्टी की निजी एवं पारिवारिक जिंदगी पर भी बुरा असर पड़ रहा है। तानाशाही के चलते वह विभाग एवं सरकार के संसाधनों को सिर्फ अपने लिए उपयोग करती हैं। इसके चलते डिग्री प्रभावित हो रही है। 


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