Legal general knowledge and law study notes
कहते कि की कम उम्र के बच्चों को समझ नहीं होती है एवं भगवान भी उनकी गलती को माफ कर देते हैं। अगर हम बात करें बाल-विकास की तो इनकी आई.क्यू. क्षमता 70 से 85 के बीच होती है जो क्षीण बुद्धि या मंद बुद्धि के अंतर्गत आती है। इसकी को ध्यान में रखते हुए, भारतीय दंड संहिता एवं अब भारतीय न्याय संहिता में 7 साल से कम आयु वर्ग के बच्चों के कुछ अपराधों को क्षमा कर दिया गया है।
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 20, भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 82 की परिभाषा
अगर किसी सात वर्ष से कम आयु के बालक या बालिका द्वारा कोई अपराध हो जाता है तब उनका अपराध IPC की धारा 82 एवं BNS की धारा 20 के अंतर्गत क्षमा योग्य होगा।
आईपीसी की धारा 82 के तहत के न्यायालय के प्रमुख निर्णय
1. बाबू सेन बनाम सम्राट- के मामले में यह स्पष्ट किया गया कि आईपीसी की धारा 82 के अंतर्गत सात वर्ष से कम आयु के बच्चों को आपराधिक दायित्व से पूर्ण उन्मुक्ति केवल दण्ड संहिता की धारा 82 ही नहीं देती है यह उन सभी स्थानीय विधि, विशिष्ट विधियाँ पर भी लागू होता है।
2. श्याम बहादुर बनाम राज्य:- मामले में सात वर्ष से कम आयु के एक बालक को सोने की एक तश्तरी पड़ी मिली जिसकी उसने कही भी रिपोर्ट नहीं लिखवाई और अपने पास रख ली, परन्तु फिर भी उसके विरुद्ध कोई अभियोजन नहीं चलाया जा सका।
The Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 section 20, Indian Penal Code, 1860 section 82 Punishment
सन 2023 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने मामला: मोहम्मद अली खान बनाम दिल्ली सरकार (2023) मामले में न्यायालय ने कहा कि यदि कोई सात वर्ष से कम आयु का बच्चा किसी अन्य व्यक्ति को नुकसान पहुंचाता है, तो उस बच्चे के माता-पिता या अभिभावकों को उस नुकसान के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665 , इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com