BNS 26, IPC 88 - इलाज के दौरान मरीज की मौत पर डॉक्टर के खिलाफ FIR दर्ज क्यों नहीं होती

Bhopal Samachar

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कहते हैं कि डॉक्टर मरीज को लिए भगवान का रूप होते हैं। वह अपने मरीज को बचाने के हर सम्भव प्रयास करते हैं। इसी की ध्यान में रखते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा बिना किसी कारण के डॉक्टर पर यदि आपराधिक मामला चलाया जाएगा तो समाज के लिए हितकर नहीं होगा क्योंकि डॉक्टर किसी मरीज का स्वतंत्रता से इलाज नहीं कर सकता है एवं रोगी और डॉक्टर के बीच में विश्वास गिरने लगेगा। डॉक्टर अपनी प्रतिरक्षा के लिए अधिक चिंतित होंगे इस लिए डॉक्टरों को शर्तो के साथ IPC की धारा-88 के अंतर्गत संरक्षण देना एवं नए कानून BNS में धारा 26 आवश्यक है।

भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 26, भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 88 की परिभाषा 

बिना आपराधिक उद्देश्य से किसी व्यक्ति के फायदे के लिए उसकी सहमति से किया गया सावधानीपूर्वक कार्य जिसके कारण कोई गंभीर उपहति या मृत्यु कारित हो जाए वह IPC की धारा 88 एवं BNS की धारा 26 के अंतर्गत किसी भी प्रकार का अपराध नहीं होगा। 

The Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 section 26, Indian Penal Code, 1860 section 88 Punishment 

जुम्मन खाँ बनाम सम्राट:- मामले में न्यायालय द्वारा यह अभिनिर्धारित किया गया कि जहाँ किसी डॉक्टर को धारा-88 के अधीन संरक्षण दिए जाने का प्रश्न हैं, मामले में तीन बातों पर विचार किया जाना आवश्यक है। पहला यह कि रोगी को यह पता हो कि इलाज या ऑपरेशन जोखिम भरा है इससे उसे खतरा उत्पन्न हो सकता है या कोई गंभीर हानि भी। दूसरा यह कि इसके लिए रोगी की सहमति(स्वीकृति) आवश्यक है। तीसरा यह कि डॉक्टर द्वारा अपना कार्य सद्भावनापूर्वक किया गया हो,अर्थात अपने कार्य में सावधानी एवं सतर्कता बरती हो तभी इस धारा के अंतर्गत बचाव मिल सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

:- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665 , इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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