Legal general knowledge and law study notes
संरक्षक वह व्यक्ति होता है जानिए:- जो किसी व्यक्ति का भरण-पोषण एवं उसकी सुरक्षा करता है अर्थात माता-पिता 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों के संरक्षक होते हैं एवं एक पागल व्यक्ति के हितों को ध्यान में रखने वाला उसका संरक्षक हो सकता है आदि। कभी-कभी ऐसा होता है कि कोई शिशु या पागल व्यक्ति की गम्भीर बीमारी का इलाज करवाना हैं तब डॉक्टर को इलाज करने के लिए मरीज से नहीं उसके किसी संरक्षित से स्वीकृति लेनी होगी। इससे पिछली धारा - 88 यह बताती थी कि कोई कार्य करने के लिए दो व्यक्ति में आपसी सहमति जरूरी है लेकिन IPC की धारा-89 एवं नए कानून BNS की धारा 27 में संरक्षक की सहमति जरूरी होती है प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जानिए।
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 27, भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 89 की परिभाषा
ऐसी कोई बात अपराध नहीं होगी जो बच्चों के संरक्षक या पागल व्यक्ति के संरक्षक या कोई बेहोश व्यक्ति के संरक्षक द्वारा सहमति से उसके हितों की रक्षा या फायदा के लिए सावधानीपूर्वक किया जा रहा कार्य और उसने कोई गंभीर खतरा हो जाए।
The Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 section 27, Indian Penal Code, 1860 section 89 Punishment
अर्थात डॉक्टर द्वारा पिता की सहमति से किया जा रहा बच्चे का ऑपरेशन क्योंकि इसमे बच्चे का हित एवं फायदा होगा ऐसी स्थिति में बच्चे की मौत हो जाए तब न तो पिता (संरक्षक) अपराधी होगा न ही इलाज करने वाला डॉक्टर दोनों को IPC की धारा 89 एवं BNS की धारा 27 के अंतर्गत माफ किया जाएगा।
अगर माता-पिता अपने बच्चों को बिना आपराधिक उद्देश्य से सावधानीपूर्वक किसी गलत काम करने के लिए सामान्य मारपीट करते हैं एवं इसके कारण बच्चे की मृत्यु हो जाए तब ऐसे माता पिता या संरक्षक को IPC की धारा-89 एवं BNS की धारा 27 अंतर्गत क्षमा कर दिया जाएगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665 , इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com