मध्य प्रदेश में मंगलवार की सुबह त्राहिमाम की स्थिति बन गई है। सभी कलेक्टरों ने बयान जारी किए, कुछ कलेक्टरों के फोटो भी जारी हुए परंतु पेट्रोल पंप पर पेट्रोल नहीं है। ग्राहकों को लौटाया जा रहा है। बाजार में दूध और सब्जी नहीं मिल रही है। हालत यह है कि एंबुलेंस संचालक ₹100 किलोमीटर तक चार्ज कर रहे हैं। परेशान पब्लिक के लिए सरकार और प्रशासन की तरफ से कोई सपोर्ट सिस्टम काम नहीं कर रहा है।
पूरे मध्य प्रदेश में पेट्रोल डीजल की मारामारी
पूरे मध्य प्रदेश में पेट्रोल डीजल की मारामारी शुरू हो गई है। ड्राइवर की हड़ताल के चलते डिपो से कुछ पेट्रोल डीजल के टैंकर पुलिस की सुरक्षा में निकल गए हैं परंतु बाजार में मांग की तुलना में आपूर्ति बहुत कम है। भोपाल और इंदौर में, जहां पेट्रोल की सबसे ज्यादा और सबसे तेज आपूर्ति की जाती है, 12:00 बजे तक पेट्रोल पंप पर लंबी लाइन लगी हुई थी। पेट्रोल की ब्लैक मार्केटिंग शुरू हो चुकी है। पेट्रोल पंपों के आसपास पानी की खाली बोतलों में ₹150 लीटर पैट्रोल सप्लाई किया जा रहा है। मध्य प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र की स्थिति बहुत नाजुक है। मंगलवार को डिपो से कुछ पेट्रोल डीजल के टैंकर रवाना हुए हैं।
भोपाल-इंदौर, जबलपुर-ग्वालियर में दूध और सब्जी की किल्लत
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल सहित लगभग सभी बड़े शहरों में दूध और सब्जी की किला शुरू हो गई है। हड़ताल के कारण मंडी में सब्जी नहीं आई। पेट्रोल नहीं होने के कारण सब्जी विक्रेता मंडी तक नहीं जा पाए। भोपाल में सब्जी मंडी का कारोबार 70% तक प्रभावित हुआ है। यही स्थिति इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर की भी है।
भोपाल से 200km के इलाके में किराना दुकानों पर 50% सप्लाई नहीं गई
भोपाल के थोक बाजारों से आसपास के 200 किमी के दायरे में किराना सामान की सप्लाई होती है। हड़ताल के पहले दिन 50% सप्लाई पर असर पड़ा था। भोपाल व्यापारी महासंघ के महासचिव अनुपम अग्रवाल ने बताया कि भोपाल के थोक किराना मार्केट से सीहोर, नर्मदापुरम, बैतूल, हरदा, रायसेन, विदिशा, छिंदवाड़ा समेत 200 किलोमीटर में सामान पहुंचता है, लेकिन आज सप्लाई पूरी तरह बंद है। बता दें भोपाल में इंदौर, डबरा, पिपरिया से दालें, महाराष्ट्र से शक्कर, उत्तर प्रदेश, गुजरात और दिल्ली से से चावल आता है। वहीं, आटे की सप्लाई लोकल मिल से होती है। हर रोज 200 टन तक किराना सामान की सप्लाई शहर और आसपास के जिलों में होती है।
यात्रियों ने कड़ाके की ठंड में रात गुजारी
अचानक पब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद हो जाने के कारण, मध्य प्रदेश में लाखों लोग अपने घर वापस नहीं पहुंच पाए। 1 जनवरी होने के कारण हजारों लोग 31 दिसंबर को घर के बाहर उज्जैन आदि किसी तीर्थ स्थान में चले गए थे। 1 जनवरी को जब मंदिर के दर्शन करने के बाद बस स्टैंड पहुंचे, तब हड़ताल का पता चला। प्रशासन की तरफ से ऐसे यात्रियों के लिए रात गुजारने हेतु कोई इंतजाम नहीं किए गए थे। लगभग पूरे मध्य प्रदेश में यात्रियों को कड़ाके की ठंड में रात गुजर नहीं पड़ी।
एंबुलेंस ₹100km, प्रशासन का कोई कंट्रोल नहीं
प्राइवेट एंबुलेंस संचालकों ने ब्लैकमेलिंग शुरू कर दी है। पेट्रोल डीजल नहीं होने के नाम पर, एंबुलेंस ले जाने से मना कर रहे हैं। आग्रह करने पर ₹100 किलोमीटर तक मांग रहे हैं। जिस एंबुलेंस संचालक के मुंह से जो मांग निकल जाती है, लोगों को वही देना पड़ रहा है। मरीज की जान बचाने के लिए लोग ब्लैक मार्केटिंग का शिकार हो रहे हैं। सबसे बड़ी समस्या यह है कि, इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कोई कंट्रोल सिस्टम नहीं है। 108 एंबुलेंस सेवा के सीनियर मैनेजर तरुण सिंह का बयान आया है कि, उनके कर्मचारी इमरजेंसी में काम कर रहे हैं परंतु पब्लिक का कहना है कि 108 एंबुलेंस बुलाने पर नहीं आ रही है।
सिर्फ कलेक्टर की टीम एक्टिव, सरकार गायब
मध्य प्रदेश में ड्राइवर हड़ताल के कारण एक करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं। कुछ जिलों के कलेक्टर सोमवार की शाम को एक्टिव हुए। उन्होंने बयान जारी किया कि किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं है, लेकिन पब्लिक समस्या से जूझ रही थी। सोमवार मंगलवार की दरमियानी रात, लाखों लोग परेशान होते रहे। बयान जारी करने के बाद ज्यादातर कलेक्टर अपने बंगले पर वापस लौट गए। कुछ कलेक्टर पेट्रोल और दूध की सप्लाई का इंतजाम करने की कोशिश करते रहे। सबसे बड़ी बात यह है कि मध्य प्रदेश की नवगठित मोहन सरकार पूरी तरह से अनुपस्थित थी। परिवहन मंत्री ने केवल एक अपील जारी की। सड़क पर कोई मंत्री, विधायक और जनप्रतिनिधि दिखाई नहीं दिया।
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