मध्य प्रदेश में मंत्रियों के निजी स्टाफ में अधिकारियों एवं कर्मचारियों की नियुक्ति, मंत्रियों की पसंद के मुताबिक होती है। मध्य प्रदेश सरकार के पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग एवं श्रम विभाग के मंत्री श्री प्रहलाद पटेल की निजी स्टाफ में ओएसडी के पद पर एक ऐसे अधिकारी की नियुक्ति हुई है, जो लोकायुक्त की जांच में भ्रष्टाचार का दोषी पाया गया है और न्यायालय में पेश करने के लिए चार्ज शीट तैयार हो चुकी है।
10 नवंबर को भ्रष्टाचार का दोषी, 9 जनवरी को मंत्री जी के मंडल में
मध्य प्रदेश शासन, विशेष पुलिस स्थापना के महानिदेशक ने दिनांक 10 नवंबर 2023 को शासन को लिखित सूचना दी है कि श्रम विभाग इंदौर में पदस्थ उप आयुक्त श्री लक्ष्मी प्रसाद पाठक के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले की जांच पूरी हो गई है। वह भ्रष्टाचार के दोषी पाए गए हैं। उनको सजा दिलाने के लिए न्यायालय में प्रस्तुत करने के लिए चार्ज शीट तैयार है। मध्य प्रदेश शासन के नियमों के अनुसार कोर्ट में चालान पेश करने से पहले शासन से अनुमति मांगी गई है। उम्मीद है कि जल्द ही शासन की ओर से अनुमति दे दी जाएगी, लेकिन इसके पहले दिनांक 9 जनवरी 2024 को एक नया आदेश जारी हो गया।
श्रम विभाग के प्रमुख सचिव का मासूमियत भरा बयान पढ़िए
इस आदेश में बताया गया कि श्रम विभाग इंदौर में पदस्थ उप आयुक्त श्री लक्ष्मी प्रसाद पाठक को माननीय मंत्री श्री प्रहलाद पटेल के निजी स्टाफ में विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी की भूमिका में पदस्थ किया जाता है। मध्य प्रदेश में व्यावहारिक तौर पर इस प्रकार की नियुक्ति मंत्री की मर्जी और निर्देशानुसार की जाती है परंतु वैधानिक तौर पर इस प्रकार की नियुक्ति के लिए डिपार्मेंट जिम्मेदार होता है। इस मामले में जब पत्रकारों ने श्रम विभाग के प्रमुख सचिव श्री सचिन सिंह से सवाल किया (एक दागी अधिकारी की नियुक्ति, इतने महत्वपूर्ण पद पर कैसे हो गई) तो उन्होंने बड़ी ही मासूमियत के साथ कहा कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है। मैं चेक करवाता हूं। प्रति प्रश्न करने पर कहने लगी कि जहां तक मुझे जानकारी है, अभियोजन के आदेश नहीं हुए हैं।
सवाल यह है कि जब मध्य प्रदेश शासन के लोकायुक्त द्वारा जांच में एक अधिकारी को दोषी घोषित कर दिया गया है, तो फिर उसे पावरफुल पोस्टिंग क्यों दी जा रही है। नैतिकता रहती है कि जब तक निर्दोष साबित नहीं हो जाता तब तक ऐसे अधिकारी और कर्मचारियों को लूप लाइन में रखना चाहिए।
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