मध्य प्रदेश में एसडीएम और तहसीलदारों की तानाशाही के नित नए मामले सामने आ रहे हैं। एक फोटो वायरल हुआ है जिसमें राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी एवं सिंगरौली जिले में चितरंगी के एसडीएम श्री असवनराम चिरावन, एक महिला कर्मचारी के हाथों से जूता पहना हुए दिखाई दे रहे हैं। इसकी पुष्टि स्वयं SDM ने कर दी है। उनका कहना है कि महिला कर्मचारियों ने अपनी मर्जी से उन्हें जूते पहनाए थे।
मुझे बाद में पता चला कि महिला कर्मचारी ने जूते के लेस बांधे हैं: Aswanram Chirawan
यह मामला दिनांक 22 जनवरी का है। अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में मध्य प्रदेश सरकार की राज्य मंत्री राधा सिंह भी मौजूद थी। इसी कार्यक्रम में राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी श्री असवन राम चिरावन ने महिला कर्मचारी के हाथ से जूते पहने। किसी ने यह फोटो कैप्चर कर लिया और सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। एसडीएम ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि मेरे पैर में कुछ दिन पहले चोट लगी थी, जिससे मेरे घुटने मुड़ नहीं रहे थे। 22 जनवरी को राम प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम के लिए मैंने मौके पर अपने जूते खोले थे। कार्यक्रम के बाद जूते पहन लिए थे, पर उसके लेस खुले थे। मुझे बाद में पता चला कि महिला कर्मचारी ने जूते के लेस बांधे हैं।
वायरल फोटो SDM के बयान को झूठा साबित करता है
वायरल हुआ फोटो SDM के बयान को झूठा साबित करता है। फोटो में साफ दिखाई दे रहा है कि महिला कर्मचारी उन्हें जूते पहन रही है और वह महिला कर्मचारी को देख रहे हैं। एसडीएम ने उसे महिला कर्मचारी काफी बयान जारी करवाया, जिसने जूते पहनाए थे। जूते पहनाने वाली महिला का कहना है कि साहब के पैर में चोट की जानकारी थी। मैंने स्वेच्छा से उनके जूते के लेस बांधे थे ताकि वो कहीं गिर न जाएं। सवाल यह है कि जिस महिला को पर SDM का इतना अधिक दबाव है कि वह सार्वजनिक कार्यक्रम में जूते पहना रही है, कैसे विश्वास किया जाए कि उसके द्वारा जारी किया गया बयान किसी भी प्रकार के भय से मुक्त है।
SDM के खिलाफ FIR या VRS होना चाहिए
राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी श्री असवन राम चिरावन की यह बात भी समझ में नहीं आई कि यदि उनके पैर में चोट थी तो उन्होंने बिना लेस वाले जूते क्यों नहीं पहने। उनके इस बयान के बाद श्री असवन राम चिरावन का मेडिकल कराया जाना चाहिए। यदि वह सच बोल रहे हैं तो उन्हें कर्तव्य के लिए अनफिट घोषित करते हुए VRS दे देना चाहिए। यदि वह झूठ बोल रहे हैं तो उनके खिलाफ महिला कर्मचारी की प्रताड़ना का मामला दर्ज किया जाना चाहिए।
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