मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आंचल मिशनरी संस्था द्वारा संचालित चिल्ड्रन होम हॉस्टल में से 26 लड़कियों के गायब होने की खबर है। इस मामले में संस्था के पदाधिकारी एवं हॉस्टल के संचालक के खिलाफ परवलिया पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया है। बाल आयोग में दावा किया है कि चिल्ड्रन होम के नाम से यह हॉस्टल बिना अनुमति के संचालित किया जा रहा था।
मध्य प्रदेश की राजधानी में सरकार की नाक के नीचे मासूम लड़कियों पर इतना बड़ा अत्याचार
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल जिले की हुजुर्ग तहसील के फंदा ब्लॉक में स्थित तारा सेवनिया अथवा तराईसेवनिया गांव में चिल्ड्रन होम के नाम से एक हॉस्टल का संचालन किया जा रहा है। मध्य प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों ने शुक्रवार 5 जनवरी 2024 को इसका निरीक्षण किया। बाल आयोग द्वारा निरीक्षण के बाद बताया गया कि यह हॉस्टल आंचल मिशनरी संस्था द्वारा संचालित किया जा रहा है। इसमें मध्य प्रदेश के सीहोर, रायसेन, छिंदवाड़ा एवं बालाघाट जिलों के अलावा गुजरात, राजस्थान और झारखंड राज्य की लड़कियां रहती हैं। हॉस्टल के रजिस्टर पर कल 68 लड़कियों की एंट्री है लेकिन हॉस्टल में मात्र 41 लड़कियां ही उपस्थित मिली।
संस्था को जर्मनी से फंडिंग मिलती है
बाल आयोग ने बताया कि इस संस्था को जर्मनी से फंडिंग होती है। हॉस्टल के संचालक का नाम श्री अनिल मैथ्यू है। वह स्वयं को सरकारी प्रतिनिधि बताते हैं, और जो अनाथ अथवा लावारिस बच्चे सड़कों से रेस्क्यू किए जाते हैं, उन्हें अपने हॉस्टल में ले जाते हैं। लड़कियों की उम्र 6 साल से 18 साल के बीच में है। 68 में से 40 लड़कियों को इस हॉस्टल में रहने के बदले हॉस्टल संचालक की मर्जी के अनुसार पूजा एवं प्रार्थना करनी पड़ती है।
संस्था ने किसी नियम का पालन नहीं किया, कानूनगो बोले
प्रियंक कानूनगो ने बताया कि मप्र सरकार ने एक एनजीओ को चाइल्ड हेल्प लाइन पर आने वाली शिकायतों को सुनने और मुश्किल में फंसे बच्चों को रेस्क्यू करने का काम सौंप रखा है। एनजीओ संचालक ने भोपाल के परवलिया थाना क्षेत्र में आंचल नाम से हॉस्टल बनाया है।
एनजीओ के कर्मचारियों ने चाइल्ड हेल्प लाइन 1098 पर आए डिस्ट्रेस और मुश्किल में फंसे बच्चों के कॉल के आधार पर साल 2020 से रेस्क्यू शुरू किया। अब तक 43 बच्चियों को रेस्क्यू किया। इनकी उम्र 6 से 18 साल के बीच है। प्रियंक कानूनगो का कहना है कि इस संस्था ने बच्चों को भोपाल की बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के सामने पेश करने के बजाय सीधे हॉस्टल में रखा। नियमानुसार सीडब्ल्यूसी के सामने पेश कर, बालिका गृह में भेजा जाना था।
बाल आयोग ने सीएस को पत्र में यह लिखा
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने सीएस को लेटर में लिखा, 'भोपाल के आंचल बालगृह का निरीक्षण किया गया। इस दौरान बालगृह के अधिकारियों एवं बालगृह में मौजूद बच्चों से बातचीत की। इसमें पता चला कि बालगृह न तो पंजीकृत है और न ही मान्यता प्राप्त है। संलग्न सूची में 68 निवासरत बच्चियां दर्ज थीं। निरीक्षण के दौरान 41 बच्चियां ही मिलीं। सभी बच्चियां बाल कल्याण समिति के आदेश के बिना रह रही हैं। बालगृह के अधिकारियों द्वारा बताया गया कि बच्चों को चाइल्ड इन स्ट्रीट सिचुऐशन से रेस्क्यू कर बिना बाल कल्याण समिति में प्रस्तुत किए यहां रखा जा रहा है। यह बालगृह पूर्व में रेलवे चाइल्ड लाइन चलाने वाली संस्था संचालित कर रही है।'
निरीक्षण के दौरान रजिस्टर्ड 68 में 41 बच्चियां मिलीं। गैरहाजिर बच्चियों के संबंध में हॉस्टल संचालक जवाब नहीं दे सके। किचन में मांस मिला। हॉस्टल में रहने वाली लड़कियों को धार्मिक स्वतंत्रता नहीं दी गई है बल्कि एक विशेष प्रकार की प्रार्थना करने के लिए बाध्य किया गया है। हॉस्टल में कहीं भी सीसीटीवी कैमरे नहीं हैं। रात में 2 महिलाओं के अलावा 2 पुरुष गार्ड रहते हैं। जबकि, बच्चियों की सुरक्षा के लिए सिर्फ महिला गार्ड ही होना चाहिए।
यौन उत्पीड़न, मारपीट संबंधी बात सामने नहीं आई है, एसपी बोले
एसपी प्रमोद कुमार सिन्हा ने बताया कि चाइल्ड वेलफेयर समिति में बच्चियों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं। उनके बयानों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। अब तक की जांच में बच्चियों के साथ किसी प्रकार की यौन उत्पीड़न, मारपीट संबंधी बात सामने नहीं आई है। सभी पहलुओं पर मामले की जांच की जा रही है। आंचल चिल्ड्रन होम का संचालन अवैध तरीके से किया जा रहा था। इसी आधार पर एफआईआर दर्ज की गई है।
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