मध्य प्रदेश शासन, स्कूल शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल, विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री की घोषणा से पलट गया। मुख्यमंत्री ने कहा था कि अतिथि शिक्षकों को बीच सत्र में नहीं हटाया जाएगा। अतिथि शिक्षक संघ का प्रतिनिधि मंडल इस मामले को लेकर कैबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त श्री सुल्तान सिंह से मिला। और उन्हें आश्वासन दिया है कि इस विषय में मुख्यमंत्री से बात करेंगे।
आयुक्त लोक शिक्षण में अतिथि शिक्षकों को हटाने के मौखिक आदेश दिए हैं
अतिथि शिक्षक संघ के श्री अरुण गोस्वामी ने बताया कि, संघ का एक प्रतिनिधिमंडल कैबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त श्री सुल्तान सिंह शेखावत से मिला। उन्हें बताया कि आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय, भोपाल द्वारा वीडियो कांफ्रेंस के दौरान अतिथि शिक्षकों को परीक्षा के पहले पोर्टल से हटाने के आदेश दिए गए हैं। जबकि चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ने कहा था कि एक बार नियुक्ति हो जाने के बाद सत्र की समाप्ति से पहले किसी भी अतिथि शिक्षक को नौकरी से नहीं निकल जाएगा। यदि प्रमोशन या ट्रांसफर के कारण कोई नियमित शिक्षक आ जाता है तो अतिथि शिक्षक को नजदीक के स्कूल में ट्रांसफर कर दिया जाएगा। प्रतिनिधिमंडल में प्रदेश अध्यक्ष तूफान शर्मा, उज्जैन संभाग अध्यक्ष राहुल जायसवाल, हिम्मत सिंह सोलंकी, उमेश बारेठा, हरि सिंह गुर्जर, धर्मेंद्र पाटीदार, शैलेंद्र कुमार पाठक, मनोज चौहान उपस्थित रहे।
चुनाव से पहले अतिथि शिक्षकों को मोदी की गारंटी दी थी
एक अन्य जानकारी में श्री अभय गुप्ता ने बताया कि, सितंबर 2023 में 2 तारीख को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अतिथि शिक्षक पंचायत का आयोजन किया था। जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के बड़े-बड़े कट आउट्स लगाए थे और मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की थी अतिथि शिक्षकों का अनुबंध साल भर तक रहेगा। बीच सत्र में किसी भी कारण से हटाया नहीं जाएगा। इस घोषणा को मोदी की गारंटी कहा गया था। अब आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा इसका मखौल बनाया जा रहा है। हजारो अतिथि शिक्षकों को पूरे मप्र में सेवा से मुक्त किया जा रहा है। पिछले 4 माह से मानदेय नहीं मिला और अब हजारों अतिथि शिक्षकों को बेरोजगार किया जा रहा है।
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