मध्य प्रदेश शासन के 38 विभागों में नियुक्त किए गए संविदा कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों के समान वेतन और दूसरे सभी लाभ देने, नियमित भर्ती परीक्षा में 50% आरक्षण देने के लिए पॉलिसी तो बना दी गई है परंतु विभागों द्वारा पॉलिसी को लागू नहीं किया गया है। सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव विनोद कुमार का कहना है कि हमने तो पॉलिसी बना दी है। हमारा काम खत्म हो गया है। स्थिति यह है की लंबी लड़ाई के बाद भी संविदा कर्मचारी पहले की तरह असुरक्षित और पीड़ित है।
मध्य प्रदेश में 10 साल पहले संविदा कर्मचारियों की भर्ती हुई थी
मध्य प्रदेश में सन 2004 से संविदा कर्मचारियों की भर्ती शुरू हो गई थी। सन 2008 में जब 150000 संविदा कर्मचारी नियुक्त किया जा चुके थे, विधानसभा चुनाव हुए तो वादा किया गया कि संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाएगा, परंतु वादा अधूरा रह गया और 2013 के विधानसभा चुनाव आ गए। एक बार फिर संविदा कर्मचारियों को नियमितीकरण का आश्वासन दिया गया।
25 से ज्यादा मीटिंग के बाद पॉलिसी बनी है
राजधानी में प्रशासनिक अधिकारियों की 25 से ज्यादा मीटिंग हुई उसके बाद एक पॉलिसी बनाई गई। इसके तहत सभी संविदा कर्मचारियों को, नियमित कर्मचारियों के समान अधिकार और सुविधाएं दिए जाने का प्रावधान किया गया। सभी विभागों को यह पॉलिसी लागू करनी है परंतु विभागों द्वारा पॉलिसी लागू नहीं की गई है। जुलाई 2023 में संविदा कर्मचारियों के लिए पॉलिसी को अपडेट किया गया, लेकिन विभागों द्वारा पॉलिसी को लागू नहीं किया जा रहा है।
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