Harsh Singh, IAS (आयुक्त नगर पालिक निगम ग्वालियर) के लिए बुधवार 10 जनवरी 2024 का दिन काफी खराब रहा। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने स्वर्ण रेखा मामले में उन्हें काफी खरी-खोटी बातें सुनाई। यहां तक कह दिया कि, आप स्टोरी मत सुनाइए, हमें प्लान चाहिए, अब तक क्या बुद्धि पर ताला पड़ा था।
हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में स्वर्ण रेखा नदी के पुनरुद्धार और सालिड वेस्ट व वाटर ड्रेनेज से जुड़ी जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए युगलपीठ के जस्टिस रोहित आर्या ने आयुक्त नगर निगम हर्ष सिंह से कहा कि "आपने नमामि गंगे को भेजने के लिए 625.18 करोड़ रुपये का प्रस्ताव बनाया है, आपको इस बात की जानकारी तो होगी कि क्या प्रस्ताव भेज रहे हो और इसमें क्या स्वीकृत होगा? आप आला अधिकारी हैं यह नहीं पता कि कोई प्रस्ताव कैसे बनाया जाता है? 599 करोड़ रुपये सिर्फ सीवरेज और वाटर ड्रेनेज प्रोजेक्ट के लिए हैं, जिनका नमामि गंगे से कोई लेना देना ही नहीं है। जिस स्वर्ण रेखा नदी का पुनरुद्धार किया जाना है, उसके लिए सिर्फ 27 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा है। देखिये, मैं इस मामले को लेकर बहुत गंभीर हूं, एक नदी देखते ही देखते नाले में बदल गई तो आप सभी को भी गंभीर होना पड़ेगा।
मध्य प्रदेश सरकार के खाली खजाने पर हाई कोर्ट की टिप्पणी
इस याचिका में सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने वन विभाग से आए अधिकारी से पूछा कि क्या काम किया है आपने अब तक, जिस पर उस संबंधित अधिकारी ने बताया कि हनुमान बांध तक 200 मीटर का क्षेत्र चयनित किया गया है साथ ही फंड के लिए राज्य शासन को पत्र भी भेज दिया है। अधिकारी ने कोर्ट को बताया कि इसके साथ एनजीओ और सिविल सोसाइटी की भी सहभागिता के साथ प्लांटेशन करेंगे। इस पर कोर्ट ने कहा कि यही दिन आने वाले हैं, सरकार का खजाना खाली दिख रहा है। तो भीख मांगो, जनता से पैसा इकट्ठा कर के उन्हीं के काम करो। चैरिटी का आफिस खोल लो, जनता से कहो कि पैसे नहीं हैं, पैसे दे दो तो हम पेड पौधे लगा लें।
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