मध्य प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को केंद्रीय कर्मचारियों के समान महंगाई भत्ता देने का निर्णय तो हो गया परंतु इस निर्णय का पालन नहीं किया जा रहा है। मुख्य सचिव श्रीमती वीरा राणा ने लगातार दूसरी बार महंगाई भत्ता वाली फाइल वापस लौटा दी है।
चुनाव के समय वोटिंग से पहले सरकार ने अनुमति मांगी थी
विधानसभा चुनाव के दौरान तत्कालीन शिवराज सरकार ने कर्मचारियों को 4 प्रतिशत महंगाई भत्ता देने के लिए चुनाव आयोग से अनुमति मांगी थी। वोटिंग से चार दिन पहले धनतेरस के दिन 12 नवंबर को राज्य सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्ताव पर तब आयोग ने यह कहकर रोक लगाई थी कि मतदान दिवस 17 नवंबर तक इस निर्णय को स्थगित रखा जाए। इसके बाद सरकार ने चुनाव आयोग को चुनाव परिणाम तक प्रस्ताव ही नहीं भेजा। बाद में इसे लेकर एक बार फिर फाइल चली फिर मुख्य सचिव के दफ्तर से लौटा दी गई। अब कर्मचारी इसलिए आक्रोशित हैं, क्योंकि केंद्र सरकार फिर महंगाई भत्ता देने वाली है। राज्य सरकार आनाकानी कर रही है।
केंद्रीय कर्मचारियों को 50% महंगाई भत्ता मिलने वाला है
केंद्र सरकार ने जुलाई 2023 से 4% महंगाई भत्ता व महंगाई राहत दी थी, जिसके बाद केंद्रीय कर्मचारियों को कुल 46 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिल रहा है, जबकि मध्य प्रदेश शासन के कर्मचारियों को 42% महंगाई भत्ता दिया जा रहा है। केंद्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता बढ़ाकर 50% होने वाला है और मध्य प्रदेश में मुख्य सचिव ने कर्मचारियों की महंगाई भत्ता वाली फाइल वापस लौटा दी है।
सिर्फ मध्य प्रदेश के कर्मचारियों का महंगाई भत्ता अटका है
उल्लेखनीय के मध्य प्रदेश में केंद्र के समान ही महंगाई भत्ता देने की परंपरा रही है। आचार संहिता के दौरान छत्तीसगढ़ और राजस्थान की सरकारों ने अपने राज्य में जुलाई 2023 से 4% महंगाई भत्ते का लाभ दे दिया। मध्य प्रदेश के 7.50 लाख कर्मचारी और 4.50 लाख सेवानिवृत्त कर्मचारी केंद्र के समान महंगाई भत्ता व महंगाई राहत नहीं मिलने से प्रभावित हो रहे हैं।
मध्य प्रदेश के शासकीय कर्मचारियों को ₹10000 तक का मासिक नुकसान
सरकार के समान महंगाई भत्ते की राशि मंजूर नहीं होने से चतुर्थ श्रेणी से लेकर राजपत्रित अधिकारियों तक को दो हजार रुपए से 10 हजार रुपए तक का फायदा होना है। अखिल भारतीय सेवा में शामिल आईएएस अफसरों और न्यायिक सेवा के अफसरों को तो बढ़ा हुआ भत्ता देने का आदेश चुनाव आचार संहिता के दौरान ही जारी हो गया था, लेकिन बाकी कर्मचारियों व पेंशनर्स को इंतजार करना पड़ रहा है।
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