BHOPAL NEWS - जुबेर मौलाना बरी, पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई का इंतजार

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में क्रिमिनल रिकॉर्ड वाले दो लोगों के बीच हुए विवाद में पुलिस की भूमिका संदिग्ध हो गई। FIR से लेकर चार्ज शीट तक पुलिस ने कई महत्वपूर्ण गलतियां की। स्पष्ट समझ में आता है कि, सिर्फ खानापूर्ति के लिए मामला दर्ज किया था। जांच अधिकारी ने नियम अनुसार जांच ही नहीं की। कोर्ट में चार्ज शीट इसलिए पेश की गई था कि आरोपी को बरी करवाया जा सके, और ऐसा ही हुआ परंतु विद्वान न्यायाधीश ने इस मामले के फैसले में पुलिस की पोल खोल दी। अब देखना यह है कि क्या मामला दर्ज करने वाले और जांच करने वाले अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई होती है। 

पृष्ठभूमि सहित कहानी संक्षिप्त में 

क्रिमिनल रिकॉर्ड वाले नफीस उर्फ अदालत और जुबैर मौलाना के बीच संघर्ष हुआ था। दोनों के खिलाफ शहर के कई थानों में मामले दर्ज हैं। पुलिस ने नफीस की शिकायत पर जुबैर के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया था। भोपाल कोर्ट ने जुबैर मौलाना को दोष मुक्त घोषित कर दिया। इस मामले में महत्वपूर्ण बात यह है कि विद्वान न्यायाधीश ने अपने फैसले में यह स्पष्ट किया कि किस प्रकार पुलिस ने अपराधियों की मदद की। अपराध घटित हुआ परंतु ना तो CRPC के अनुसार FIR दर्ज की गई और ना ही जांच की गई। 

FIR में महत्वपूर्ण जानकारी नहीं थी

कोर्ट के आदेश में पैराग्राफ नंबर 14 में लिखा है कि केस के संदर्भ में जांच अधिकारी के कथनों का अवलोकन किया गया। क्रॉस एग्जामिनेशन के दौरान जांच अधिकारी ने स्वीकार किया है कि प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) में फरियादी के मोबाइल नंबर का उल्लेख नहीं है। फरियादी को किस नंबर से धमकी दी गई, इसका भी उल्लेख नहीं है।

इन्वेस्टिगेशन ऑफीसर ने जांच में गड़बड़ी की

विवेचना के दौरान जांच अधिकारी ने फरियादी नफीस का मोबाइल व सिम कार्ड जब्त नहीं किया। कॉल डिटेल के सबंध में साक्ष्य अधिनियम की धारा 63-बी का प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत नहीं किया गया। ऐसे में जुबैर मौलाना द्वारा फरियादी को मोबाइल फोन पर लड़के भेजकर मारने की धमकी दिए जाने का तथ्य स्थापित नहीं होता है।

दोनों के बीच कोर्ट के बाहर सेटलमेंट हुआ

आर्डर के 15वें नंबर के पैराग्राफ में उल्लेख किया है कि स्वयं फरियादी नफीस उर्फ अदालत ने जुबेर मौलाना द्वारा किसी भी तरीके की घटना घटित किए जाने से इंकार किया है।

जांच अधिकारी का सॉफ्ट कॉर्नर

जांच अधिकारी सब इंस्पेक्टर कुंवर सिंह ने भी क्रॉस एग्जामिनेशन में स्वीकार किया है कि जांच के दौरान यह पाया कि घटना के समय जुबैर वहां मौजूद नहीं था। ऐसे में ​​​​​​हत्या के प्रयास की कोशिश की ही नहीं जा सकती है। 

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