BHOPAL NEWS - हजारों आशा कार्यकर्ताओं का वेतन अटका, मदद मांगने शिवराज के घर पहुंची

Bhopal Samachar
मध्य प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने महिलाओं से भाई-बहन का रिश्ता तो बना लिया परंतु अब उसे निभाना बड़ा कठिन होता जा रहा है। मध्य प्रदेश की हजारों आशा कार्यकर्ताओं को पिछले 3 महीने से वेतन नहीं मिला। नतीजा मदद मांगने के लिए आशा कार्यकर्ता, भोपाल में शिवराज सिंह के घर पहुंच गई। सरकार को नहीं बल्कि शिवराज को ज्ञापन दिया। चाहती है कि शिवराज सिंह उनकी तरफ से सरकार से बात करें और वेतन दिलवाएं। 

शिवपुरी की अहिल्याबाई को तो 14 महीने से वेतन नहीं मिला

भोपाल की जेबा खान परिवार में अकेली कमाने वाली हैं। एक छोटी बेटी है। वे बताती हैं कि तीन महीने से वेतन नहीं मिला, ऐसे में घर चलाना बहुत मुश्किल है। छोटे-मोटे काम कर कर जैसे-तैसे घर की जरूरतें पूरी कर रही हैं। शिवपुरी की रहने वाली अहिल्या परिहार ने बताया कि उन्हें 14 महीने से सैलरी नहीं मिली। परिवार के पास छोटा सा खेत है, लेकिन उससे इतनी कमाई नहीं होती कि परिवार चलाया जा सके। बच्चों की पढ़ाई और अन्य खर्च के लिए कर्ज तक लेना पड़ता है। 

अंग्रेजी नहीं पढ़ पाई तो अयोग्य बात कर हटा दिया

आशा कार्यकर्ता राधिका का कहना है कि अधिकतर आशा कार्यकर्ता पांचवी पास है। इन्हें आयुष्मान कार्ड के अलावा अन्य सर्वे का काम दिया गया है। इस काम की कई जानकारियां अंग्रेजी में होती है। ऐसे में आशा कार्यकर्ताएं यह जानकारी नहीं भर पाती। यही कारण है कि उन्हें अयोग्य बताकर हटा दिया गया। यहां उल्लेख करना अनिवार्य है कि आशा कार्यकर्ता की भर्ती के समय अंग्रेजी पढ़ना या लिखना, अनिवार्य शैक्षणिक अर्हता में शामिल नहीं है। 

आशा कार्यकर्ता को 47 काम करने पड़ रहे हैं फिर भी वेतन नहीं मिलता

श्रीमती विभा श्रीवास्तव, अध्यक्ष, आषा-ऊषा सहयोगिनी संगठन का कहना है कि, आशा कार्यकर्ताओं के पास मां और बच्चे से जुड़े 42 तरह के काम होते हैं। इसके अलावा अब उन्हें आयुष्मान योजना, यूविन पोर्टल, दस्तक अभियान, टीबी सर्वे और कुष्ठ सर्वे का अतिरिक्त काम भी दे दिया है। इसके बावजूद उन्हें सैलरी नहीं दी जा रही। ऐसे में कैसे घर चलेगा।

शिवराज भैया मदद करो, मुख्यमंत्री से मिलने साथ चलो 

विधानसभा चुनाव 2023 के प्रचार के दौरान शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश की महिलाओं से कई प्रकार के वादे किए थे। वादे करते समय उन्होंने शर्तें लागू नहीं कहा था। शायद उनका मानना था कि या तो मुख्यमंत्री बनूँगा या फिर विपक्षी दल में रहूंगा, लेकिन कुछ और हो गया। अब यदि बहनों की मदद करते हैं तो पार्टी बुरा मान जाएगी। सरकार के साथ खड़े होते हैं तो बहाने रिश्ता तोड़ देंगी। 

हमें किसी ने ज्ञापन नहीं दिया, डा. प्रभाकर तिवारी

डा. प्रभाकर तिवारी, सीएमएचओ, भोपाल का कहना है कि, सैलरी नहीं मिल रही इसकी जानकारी नहीं है। हमें कोई ज्ञापन या अन्य जानकारी दी गई। (कितनी अजीब बात है, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी चाहते हैं कि उनके अधीनस्थ कर्मचारी नियमित वेतन के लिए भी उन्हें ज्ञापन देंगे। यदि ज्ञापन नहीं देंगे तो वेतन जारी नहीं किया जाएगा)। 

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