BNS 41, IPC 103 - क्या संपत्ति की रक्षा के लिए किसी की हत्या कर सकते हैं, जानिए

Bhopal Samachar

Legal general knowledge and law study notes 

हर व्यक्ति को अपने जीवन एवं संपत्ति की रक्षा करने का अधिकार होता है। कई बार किसी चोर-लुटेरे अथवा डाकू से संपत्ति की रक्षा के दौरान मुठभेड़ हो जाती है और इस संघर्ष में उसकी मृत्यु हो जाती है। क्या ऐसी स्थिति में अपनी संपत्ति की रक्षा के लिए बल प्रयोग करने वाले नागरिक को हत्यारा मानकर सजा दी जाएगी अथवा उसके अपराध को क्षमा कर देने का भी कोई प्रावधान है। पढ़िए:-

भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 41, भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 103 की परिभाषा 

कोई व्यक्ति निम्न प्रकार से किसी व्यक्ति की निजी संपत्ति को नुकसान पहुँचता हैं:-
1. चोरी करने के उद्देश्य से।
2. लूट करने के उद्देश्य से।
3. डकैती के उद्देश्य से।
4. रात्रि में जबर्दस्ती घर में घुसकर मारपीट या लूट करना।
4. मकान को रिष्टि करना आदि।
उपर्युक्त उद्देश्य से अगर व्यक्ति किसी पर हमला करता है और व्यक्ति अपनी निजी संपत्ति की रक्षा के लिए हमलावर की हत्या कर देता है, तब यह अपराध IPC की धारा 103 एवं BNS की धारा 41 के अंतर्गत क्षमा योग्य होगा, लेकिन यदि अपराधी पकड़े जाने पर सरेंडर कर देता है, संघर्ष नहीं करता, तब ऐसी स्थिति में उसे पर हिंसा करना अथवा उसकी हत्या कर देना, क्षमा योग्य अपराध नहीं होगा।

उधारानुसार वाद गुरुदत्त मल बनाम राज्य

उपर्युक्त वाद में मृतक पुलिस के संरक्षण में एक खेत से शांतिपूर्वक फसल काट रहे थे एवं उनके पास किसी भी प्रकार के खतरनाक हथियार नहीं थे। आरोपी ने फसल पर अपना हक जताया तथा पर्याप्त समय होने के बावजूद नियम अनुसार लोक-अधिकारियों की सहायता लेने के स्थान पर फसल काट रहे व्यक्ति को गोली मार दी एवं अन्य हथियार से हमला करके उसकी हत्या कर दी। न्यायालय ने इस वाद में यह अभिनिर्धारित किया कि मृतकगण न तो लूट का कोई अपराध कर रहे थे न ही डकैती का इसलिए आरोपी को आईपीसी की धारा 103 के अंतर्गत किसी भी प्रकार का निजी प्रतिरक्षा का बचाव नहीं मिलेगा आरोपी के पास समय था वह पुलिस सहायता ले सकता था। 

आईपीसी की धारा 103 से संबंधित महत्वपूर्ण जजमेंट

जससा सिंह बनाम हरियाणा राज्य मामले मे सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्पष्ट किया कि धारा 103 के अंतर्गत प्रतिरक्षा का बचाव केवल रात्री गृह भेदन की दशा में ही उपलब्ध होगा। किसी खुली भूमि में अतिचार के लिए अतिचार करने वाले व्यक्ति को हत्या करना इस धारा के अंतर्गत बचाव के रूप में स्वीकार्य नहीं होगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

:- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद 9827737665), इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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