CM Sir, संविदा कर्मचारियों के लिए 22 जुलाई की घोषणा का पालन करवा दीजिए, प्लीज - Khula khat

Bhopal Samachar
आदरणीय मुख्यमंत्री जी, पिछले वर्ष 22 जुलाई 2023 को तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने संविदा कर्मियों के लिए कुछ घोषणा की थी जिनमें उनको एक फ़िक्स मासिक वेतन, हर साल अनुबंध प्रक्रिया से मुक्ति एवं नियमित कर्मचारियों के समान अवकाश और अन्य सुविधाएँ शामिल थी लेकिन आज दिनांक तक भी संविदा कर्मियों के लिए 22 जुलाई 2023 की नीति लागू नहीं हो पाई है। रोज़ समाचार पत्रों में संविदा कर्मचारी की सेवाएँ समाप्त होने की ख़बरें आ रही है। आज भी संविदा कर्मियों को पहले की भाँति ही शोषण का शिकार होना पड़ रहा है। 

अधिकारियों ने मनमाने तरीके से वेतन निर्धारण किया

मुख्यमंत्री जी की घोषणा करने के बाद अधिकारियों वेतन को मनमाने ढंग से फ़िक्स किया था। इसी का नतीजा है कि ड्राइवर का वेतन डेटा एंट्री आपरेटर का वेतन और सामाजिक कार्यकर्ता का वेतन एक समान हो गया। सालों की मेहनत और आंदोलन के बाद संविदा कर्मियों को आस जगी थी कि शायद वेतन में जो विसंगतियाँ थी वो कुछ हद तक दूर होगी लेकिन अधिकारियों का रवैया एक बार फिर बीच में आ गया और उन्होंने मनमाने तरीक़े से वेतन का निर्धारण कर दिया।

अभी भी संविदा कर्मियों को बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। वैसे भी सरकार हमें नियमित वेतन का न्यूनतम वेतन दे रही है, न ही उसमें कोई महँगाई भत्ता लग रहा है न ही कोई अन्य भत्ते लग रहे हैं। इसके बाद भी आलम यह है कि उस वेतन को भी सही तरीक़े से निर्धारित नहीं किया गया है। आज भी 2023 की नीति किसी बड़े आधिकारी की टेबल पर धूल खा रहीं और सारी संविदा कर्मी उसकी राह देख रहे हैं। 

जब बात वेतन निर्धारण की होती है तो सबसे कम निर्धारण लगाया जाता है और जब बात ड्यूटी लगाने की होगी तो बात बराबरी की आ जाएगी। आदरणीय मुख्यमंत्रीजी से यही निवेदन है कि संविदा कर्मियों की माँगो पर किसी संवेदनशील व्यक्ति से कार्रवाई कराई जाए, जिससे की हमारी जो वेतन विसंगति हुई है उसको सुधारा जा सके तथा 22 जुलाई 23 की नीति को सही तरीक़े से लागू करवाए जा सके। 

हो सकता है नियमित कर्मचारी और संविदा कर्मियों में सरकार भेद करती हो वेतन के मामले में या अन्य सेवाओं के मामले में लेकिन काम लेते समय संबंधित अधिकारी नियमित और संविदा कर्मी दोनों में कोई भेद नहीं करता है।
✒️ सभी संविदा कर्मियों की ओर से रानू पाठक 

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