श्री कमलनाथ का कार्यक्रम संपन्न होने के बाद अब श्री दिग्विजय सिंह को कांग्रेस पार्टी में राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय अध्यक्ष के समकक्ष पावरफुल पोजीशन के लिए अभियान शुरू हो गया है। एक नॉरेटिव सेट करने की कोशिश की जा रही है कि, श्री अशोक गहलोत और श्री कमलनाथ जैसे नेताओं की तुलना में श्री दिग्विजय सिंह कहीं ज्यादा योग्य, क्षमतावान और कांग्रेस पार्टी की विचारधारा पर हर हाल में डटे रहने वाले नेता हैं। शायद गांधी परिवार को यह बताया जा रहा है कि, श्री कमलनाथ तो किसी काम के रहे नहीं, लोकसभा चुनाव टिकट वितरण से पहले श्री दिग्विजय सिंह को यदि पावरफुल पोजीशन दे दी तो मध्य प्रदेश राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी का कुछ भला हो सकता है।
कांग्रेस की मजबूरी है, दिग्विजय सिंह जरूरी है - यही नॉरेटिव सेट करना है
मुख्यमंत्री के रूप में दिग्विजय सिंह का पहला कार्यकाल बड़ा सफल था। पूरा मध्य प्रदेश खुशहाल था। गांव गांव तक दिग्विजय सिंह लोकप्रिय थे।
दूसरे कार्यकाल में दिग्विजय सिंह ने कोई गलती नहीं की परंतु छत्तीसगढ़ विभाजन के बाद स्वर्गीय अजीत जोगी ने उनके साथ विश्वासघात किया और मध्य प्रदेश में बिजली संकट हो गया। दिग्विजय सिंह ने केवल कुछ गलत बयान दिए।
चुनाव हार जाने के बाद उन्होंने 10 साल तक कोई पद नहीं लेने का वचन निभाया। इसके कारण मध्य प्रदेश में कांग्रेस कमजोर हो गई। भाजपा की लगातार सत्ता में वापसी और शिवराज सिंह के कार्यकाल की सफलता के पीछे दिग्विजय सिंह का संकल्प था। यदि दिग्विजय सिंह पद पर होते तो, मध्य प्रदेश में कांग्रेस कमजोर नहीं होती।
10 साल के बाद जब वह सक्रिय हुए तो नर्मदा यात्रा करके उन्होंने कांग्रेस को मजबूत कर दिया और मात्र 2 साल में शिवराज सिंह चौहान को सत्ता से बाहर कर दिया।
2018 के विधानसभा चुनाव में यदि हाई कमान श्री कमलनाथ को मध्य प्रदेश की कमान नहीं सौंपता, श्री दिग्विजय सिंह के हिसाब से टिकट वितरण होता तो मध्य प्रदेश में कांग्रेस की पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनती।
गांधी परिवार का माइंड सेट बनाने के लिए...
जब श्री राहुल गांधी ने कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दिया और सोनिया गांधी ने राज्यों की राजनीति करने गए अपने विश्वसनीय नेताओं को अध्यक्ष पद के लिए बुलाया तो श्री अशोक गहलोत और श्री कमलनाथ समेत सब ने मना कर दिया। जब किसी को कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय राजनीति में अपना भविष्य दिखाई नहीं दे रहा था तब श्री दिग्विजय सिंह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की चुनौती स्वीकार करने का फैसला लिया। जब उन्हें पता चला कि गांधी परिवार नर्सरी खड़गे को चुना है तो श्री दिग्विजय सिंह ने अपने कदम वापस ले लिए। यानी श्री दिग्विजय सिंह एक तरफ हर प्रकार की चुनौती स्वीकार करने के लिए तैयार हैं और दूसरी तरफ गांधी परिवार के वफादार भी है।
दिग्विजय सिंह को क्या चाहिए
10 साल अपने संकल्प के कारण और 10 साल अपनी लाइफ के साथ बहुत सारे प्रयोग करने के बाद श्री दिग्विजय सिंह को यह समझ में आ गया है कि, वर्तमान युग में कांग्रेस पार्टी में गांधी बनकर नहीं चला जा सकता। सत्ता में आने के बाद हर जवाहर और और वल्लभ अपनी मनमानी करने लगते हैं। इसलिए पार्टी में महत्वपूर्ण पद का होना जरूरी है। लोकसभा चुनाव सिर पर है और श्री अशोक गहलोत एवं श्री कमलनाथ जैसे प्रयोग पूरी तरह से असफल हो चुके हैं। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ को एक नेतृत्व की जरूरत है और श्री दिग्विजय सिंह से ज्यादा योग्य, अनुभवी, क्षमतावान, पार्टी की विचारधारा का पालन करने वाला और गांधी परिवार के प्रति निष्ठावान दूसरा कोई नेता नहीं है।
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