यदि कोई आपके घर में जबरदस्ती घुस आए तो क्या उसे धक्के देकर बाहर निकाल सकते हैं, जबकि किसी को धक्का देना आईपीसी के तहत एक अपराध है। इसी प्रकार यदि कोई आपके घर में रखा हुआ गमला तोड़ रहा है तो क्या उसे रोकने के लिए उसका जबड़ा तोड़ सकते हैं, जबकि किसी को थप्पड़ मारना भी आईपीसी के तहत एक अपराध है। यहां दोनों बातें सरलता से समझने के लिए लिखी गई है। तात्पर्य यह है कि, यदि कोई किसी की संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहा है तो क्या उसे बलपूर्वक रोका जा सकता है और यदि कोई किसी की संपत्ति में उसकी अनुमति के बिना जबरदस्ती घुस आया है तो क्या उसे बाहर निकालने के लिए बल प्रयोग किया जा सकता है।
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 425 एवं 441
किसी भी व्यक्ति की संपत्ति को नुकसान पहुंचाना जिससे उसकी उपयोगिता कम हो जाए या संपत्ति नष्ट हो जाए वह भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 425 के अंतर्गत रिष्टि का अपराध होता है। इसी प्रकार किसी दूसरे की संपत्ति में विधि विरुद्ध प्रवेश कर लेना और अतिचार करना भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 441 के अंतर्गत आपराधिक अति चार का अपराध होता है।
Right of Private Defense - Indian Penal Code, 1860 Section 105 (3)
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 105 के खंड 03 में बताया गया है कि अगर कोई व्यक्ति रिष्टि या आपराधिक अतिचार के उद्देश्य से किसी व्यक्ति पर हमला करता है तो बचाव करने वाले व्यक्ति को निजी प्रतिरक्षा का अधिकार दिया जाएगा अर्थात हमलावर व्यक्ति को रोकने के लिए उससे मुकाबला कर सकता है और उसे भगा सकता है यह अपराध नहीं होगा।
रिष्टि एवं आपराधिक अतिचार से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय:-
▪︎ हुकुम सिंह बनाम उत्तर प्रदेश मामले मे आरोपी गन्ने से लदी दो बैलगाड़ियां ज़बर्दस्ती 'म, के खेत में से ले जा थे जिसमें फसल खाड़ी थी जब कि उन्हें 'म, के खेत के बाजू से लगे लोक मार्ग से बैलगाड़ियां ले जानी चाहिए थी। न्यायालय ने विनिश्चित किया कि जब तक आरोपी 'म, के खेत में थे 'म, को निजी प्रतिरक्षा का अधिकार प्राप्त था एवं 'म, द्वारा अतिचरियों का प्रतिरोध करना वैध था।
▪︎राज्य बनाम भीमदेव एवं रामअवतार बनाम राज्य मामले मे न्यायालय द्वारा अभिनिर्धारित किया कि अगर कोई व्यक्ति आपराधिक अतिचार या रिष्टि के उद्देश्य से हमला करता है तब बचाव पक्ष को तब तक यह अधिकार प्राप्त होगा जब तक वह खतरा टल न जाए, अर्थात कोई व्यक्ति घर का दरवाजा तोड़ने के उद्देश्य से हमला करता है तो उसे दरवाजा तोड़ने से रोका जाना चाहिए और रोकने के बाद निजी प्रतिरक्षा का अधिकार समाप्त हो जाता है, अर्थात हमलावर की मृत्यु नहीं की जा सकती सिर्फ रोका जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद), इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com