IPC 107 - षड्यंत्र के दुष्प्रेरण का अपराध कब होता है, कब नहीं जानिए

Legal general knowledge and law study notes 

भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 107 में षड्यंत्र का दुष्प्रेरण के अपराध के बारे मे बताया गया है अर्थात्‌ षड्यंत्र के दुष्प्रेरण का अपराध होने के लिए तीन बातों का होना अति-आवश्यक है:- 
1. दो या दो से अधिक व्यक्तियों ने मिलकर षड्यंत्र रचना की हो। 
2. षडयंत्र द्वारा कोई अवैध कार्य का लोप किया गया हो अर्थात्‌ षड्यंत्र द्वारा अवैध कार्य को छुपाया गया हो। 
3. वह अवैध कार्य जो षड्यंत्र के परिमाण द्वारा प्राप्त हुआ हो।

उदहारण अनुसार जानिए:-
एक स्त्री जो स्वयं को गर्भवती समझती थी वास्तव में वह गर्भवती नहीं थी, अन्य व्यक्ति के साथ मिलकर वह स्वयं पर दवाई और ओजारों का प्रयोग करती है ताकि उसका गर्भपात हो जाए, तो उस स्त्री को गर्भपात करने के षड्यंत्र का दोषी माना जाएगा। 

▪︎ जय मंगल बनाम सम्राट मामले मे चार आरोपी लाठियां लेकर एक व्यक्ति पर हमला करने गए जिससे इन चारो की शत्रुता थी, न्यायालय ने विनिश्चित किया कि इन चारों में से प्रत्येक का व्यवहार एक दूसरे को दुष्प्रेरित कर रहा था अतः इन्हें धारा 107 दुष्प्रेरण षड्यंत्र के लिए दोषी माना गया।

▪︎ गुरुवचन सिंह बनाम सतपाल मामले मे न्यायालय ने कहा की अगर बहू सुसराल में सुसराल वालों की यातनाओं के कारण आत्महत्या कर लेती है तो यह आत्महत्या के दुष्प्रेरण का अपराध होगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

:- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद), इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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