जब कोई व्यक्ति किसी को किसी अपराध करने के लिए उकसा देता है और उकसाहट में व्यक्ति कोई अपराध कर देता है तब उकसाने वाला व्यक्ति उसी अपराध का दोषी जो अपराध मुख्य आरोपी करता है। अगर उकसाने वाला व्यक्ति वहां मौजूद नहीं है तब भी वह उस अपराध का दोषी होगा। इस अपराध के साबित करने का पूरा भार मुख्य आरोपी पर होता है कि उसने जो अपराध किया है वह किसी के उकसाहट में किया है।
इस संबंध में एक महत्त्वपूर्ण जजमेंट जानिए:-
देवधर सिंह बनाम सम्राट मामले मे अभिनिर्धारित किया गया कि रिश्वत देते समय एक व्यक्ति की घटनास्थल पर उपस्थिति तथा बाद में यह तथ्य अधिकारियों को बताने मात्र से उसे इस धारा के अंतर्गत दायित्वधीन नहीं माना जा सकता है जब तक साबित न किया जा सके।
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 114 एवं भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 54 की परिभाषा
जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को कोई अपराध करने के लिए उकसाता है तब उस व्यक्ति का घटना स्थल पर होना आवश्यक होता है यह धारा तब लागू होती है जब दुष्प्रेरक वहीं उपस्थित हो जैसे की क, ख को मारने के लिए उकसाता है तब क, भी वहीं होना चाहिए।
इस धारा के अपराध संज्ञेय होते है पर जमानतीय/ अजमानतीय दोनों प्रकार के हो सकते है,इनकी सुनवाई अपराध के अनुसार उसी न्यायालय में होगी जहां मुख्य आरोपी का ट्रायल चलेगा एवं दण्ड भी उसी अपराध से मिलेगा जो मुख्य आरोपी का होगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद), इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com