मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में The Madhya Pradesh Freedom of Religion Act, 2021 का खुला उल्लंघन हुआ। किसी प्रसंग विशेष को मुद्दा बनाते हुए श्रीमद् भागवत सप्ताह के लिए इकट्ठा हुए 40 परिवारों का धर्म बदलवा दिया गया। यहां नोट करना आवश्यक है कि इतना बड़ा घटनाक्रम हो गया और ना तो शिवपुरी कलेक्टर को इसके बारे में कोई पता चला और ना ही घटना के बाद कलेक्टर समाचार लिखे जाने तक गांव में पहुंचे। जबकि इस समाचार के बाद तमाम पत्रकार शिवपुरी जिला मुख्यालय से गांव तक पहुंच गए।
घटना का विवरण
शिवपुरी जिले में करैरा के ग्राम बहगवां में 31 जनवरी को श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन हुआ था। भीम आर्मी के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य महेंद्र बौद्ध ने बताया, गांव में भंडारे में सभी समाज को काम बांटे गए। जाटव समाज को पत्तल परोसने और झूठी पत्तल उठाने का काम दिया गया। इस दौरान गांव के किसी व्यक्ति ने कहा, जाटव समाज के लोग पत्तल परोसेंगे तो पत्तल वैसे ही खराब हो जाएगी। ऐसे में इनसे सिर्फ झूठी पत्तल उठवाने का काम करवाया जाए। इसके बाद गांववालों ने कह दिया कि झूठी पत्तल उठाना है तो उठाओ, नहीं तो खाना खाकर अपने घर जाओ। इसी बुरे व्यवहार के चलते जाटव समाज ने धर्म बदल लिया।
घटना से पहले ही बौद्ध भिक्षुओं को बुला लिया गया था
गांव के सरपंच गजेंद्र रावत का कहना है कि जाटव समाज के आरोप निराधार हैं। समाज के लोगों ने एक दिन पूर्व ही अपने हाथ से केले का प्रसाद बांटा था। पूरे गांव ने प्रसाद लिया और खाया भी। सरपंच ने बताया कि गांव में बौद्ध भिक्षु पहले से ही आ गए थे, उन्होंने लोगों को बहला फुसलाकर धर्म परिवर्तन करवाया है। सरपंच ने कहा, पूरे गांव में किसी भी तरह का काम किसी समाज विशेष को नहीं बांटा गया था। सभी ने मिलजुल कर सारे काम किए हैं। अन्य समाज के लोगों ने भी परोस करवाई और झूठी पत्तल उठाई हैं। उनके साथ छुआछूत क्यों नहीं की गई। जाटव समाज ने जो चंदा दिया था, वो उन्होंने वापस ले लिया। गांववालों ने उसकी पूर्ति के लिए दोबारा से चंदा भी किया है।
करैरा में कांड हो गया और कलेक्टर को पता ही नहीं
दिनांक 31 जनवरी को जब श्रीमद् भागवत सप्ताह का आयोजन किया गया ठीक उसी दिन गांव में टेंट लगाकर सामूहिक रूप से धर्म को बदलने की प्रक्रिया का आयोजन किया गया। माइक लगाकर परिवर्तन की शपथ ली गई और पूरे गांव को सुनाई गई। इस घटनाक्रम के फोटो और वीडियो पत्रकारों तक पहुंच गए लेकिन जब पत्रकारों ने शिवपुरी के कलेक्टर श्री रविंद्र कुमार चौधरी से इस बारे में उनकी प्रतिक्रिया जानी चाहिए तो उन्होंने कहा कि, मामला हमारे संज्ञान में नहीं आया है। मैं पता करवाता हूं कि आखिर इतने परिवारों ने एक साथ धर्म परिवर्तन क्यों किया। इस मामले की गहराई से पड़ताल करना जरूरी है, क्योंकि कोई भी व्यक्ति सिर्फ एक दिन में धर्म परिवर्तन कर ले, यह संभव नहीं है। जांच के बाद ही सच्चाई सामने आ सकेगी।
यह घटना मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2021 का उल्लंघन
The Madhya Pradesh Freedom of Religion Act, 2021 के अनुसार - "प्रपीड़न" से अभिप्रेत है, किसी व्यक्ति को किसी माध्यम से जो कुछ भी हो जिसमें मनोवैज्ञानिक दबाव या शारीरिक क्षति कारित करने वाले भौतिक जल प्रयोग या उसकी धमकी द्वारा अपनी इच्छा के विरुद्ध कार्य करने हेतु बाध्य करना।"
ताजा घटनाक्रम में "मनोवैज्ञानिक दबाव" स्पष्ट रूप से प्रमाणित होता है। अधिनियम के अनुसार कोई भी व्यक्ति अपनी धार्मिक स्वतंत्रता का लाभ ले सकता है परंतु इससे पहले स्पष्ट होना चाहिए कि वह किसी भी प्रकार के लोभ लालच, दबाव धमकी अथवा किसी मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया के अधीन तो नहीं है। इसलिए प्रावधान किया गया है कि 6 महीने पहले कलेक्टर महोदय के समक्ष आवेदन किया जाएगा और उसके बाद धार्मिक स्वतंत्रता का लाभ लिया जा सकता है। वर्तमान घटनाक्रम में अधिनियम का उल्लंघन किया गया है।
पूरा घटनाक्रम शिवपुरी कलेक्टर का फेलियर
यह पूरा मामला शिवपुरी कलेक्टर पद पर पदस्थ श्री रविंद्र कुमार चौधरी आईएएस का फेलियर दिखाई देता है। उनका इनफॉरमेशन नेटवर्क इतना कमजोर था कि, एक गांव में इतने बड़े घटनाक्रम की पूरी तैयारी हुई। टेंट लगाया गया और बौद्ध भिक्षुओं को बुलाया गया इसके बावजूद कलेक्टर को इसकी जानकारी नहीं थी। सिर्फ इतना ही नहीं घटनाक्रम के बाद घटना के फोटो और वीडियो पत्रकारों तक पहुंच गए परंतु कलेक्टर को जानकारी नहीं थी। करेला और नीम चढ़ा- जब पत्रकारों ने जानकारी दी उसके बाद भी कलेक्टर घटनास्थल के लिए रवाना नहीं हुए।
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