मध्य प्रदेश शासन, प्रमुख सचिव नगरीय विकास एवं आवास श्री नीरज मण्डलोई ने शहरी स्थानीय निकायों को न्यायालयीन आदेशों का पालन करने के सख्त निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि यदि कोई निकाय न्यायालयीन आदेश का पालन करने में विफल रहता है, तो उसके खिलाफ कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
कई नगरीय निकाय कोर्ट ऑर्डर का पालन नहीं करते, प्रमुख सचिव ने कहा
श्री मण्डलोई ने कहा कि कुछ मामलों में यह देखा गया है कि नगरीय निकाय न्यायालयीन आदेशों का पालन नहीं करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप contempt of court के मामले सामने आते हैं। उन्होंने कहा कि यह विभाग की छवि को नुकसान पहुंचाता है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह उम्मीद है कि इन निर्देशों के पालन से नगरीय निकायों द्वारा न्यायालयीन आदेशों का पालन सुनिश्चित होगा और contempt of court के मामलों में कमी आएगी।
नगरीय विकास एवं आवास विभाग के अधिकारियों हेतु मुख्य निर्देश:
- न्यायालयीन वादों में भुगतान की पात्रता, गुणवत्ता और अनुबंध की शर्तों के अनुसार गणना को सम्पूर्ण तथ्य के साथ न्यायालय के समक्ष रखा जाना सुनिश्चित किया जाये।
- भुगतान से असहमति उपरांत न्यायालय द्वारा भुगतान के आदेश पारित किये जाने पर पालन करना अथवा समय-सीमा में रिवीजन अपील सुनिश्चित करने का दायित्व संबंधित निकाय के आयुक्त या नगरपालिका अधिकारी का होगा।
- न्यायालयीन आदेश के पालन में भुगतान करने के लिये निकाय की निधि से समय-सीमा में भुगतान किया जाना सुनिश्चित किया जाये।
- यदि निकायों में राशि उपलब्ध नहीं है, तो राज्य शासन द्वारा भुगतान का प्रयास किया जायेगा।
- जब तक उक्त राशि की शत-प्रतिशत प्रतिपूर्ति संबंधित मद में नहीं हो जाती, तब तक उस निकाय को किसी भी मद में कोई भी राशि राज्य शासन द्वारा नहीं दी जायेगी।
न्यायालयीन आदेशों का पालन न करने पर कार्रवाई:
- संबंधित के विरुद्ध एक वेतन वृद्धि रोकने का आदेश।
- गंभीर त्रुटि होने पर नियमानुसार दण्डित करने के लिये विभागीय जाँच की कार्रवाई।
- यह निर्देश सभी नगरीय निकायों को तत्काल प्रभाव से लागू होंगे।
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