मध्य प्रदेश में सब जानते हैं कि, किसी भी अधिकारी का क्लर्क, उस अधिकारी का प्रतिनिधि बनकर रिश्वत लेता है और बदले में अधिकारी हस्ताक्षर करता है, लेकिन लोकायुक्त पुलिस केवल रिश्वत लेने वाले बाबू के खिलाफ कार्रवाई करती है। पन्ना में जिला शिक्षा अधिकारी के लिए रिश्वत ले रहे क्लर्क को गिरफ्तार कर लिया गया।
MP NEWS - शिक्षक को प्रमोशन के बाद पोस्टिंग की रिश्वत वसूली के लिए प्रताड़ित किया
यह कार्रवाई लोकायुक्त पुलिस सागर की टीम ने की। लोकायुक्त पुलिस की ओर से बताया गया कि शिक्षक किशोर सिंह राजपूत ने पुलिस अधीक्षक महोदय से शिकायत की थी। बताया था कि उनका प्रमोशन (उच्च पद का प्रभार) मिला है। प्रमोशन के आधार पर उन्हें हाई स्कूल मेरासन में पदस्थ किया गया था परंतु एक महीने बाद पुराने विद्यालय घाट सिमरिया ट्रांसफर कर दिया। यहां पर प्राचार्य ने ज्वाइन करने से इनकार कर दिया। घाट सिमरिया स्कूल के प्राचार्य ने बताया कि यहां पर आपके लिए पद ही नहीं है। शिक्षक ने अपनी शिकायत में बताई कि जब वह इस समस्या के समाधान के लिए जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय पहुंचा तो वहां पर पहले तो काफी समय तक परेशान किया जाता रहा और बाद में क्लर्क महेंद्र साहू ने कहा कि यदि पद स्थापना चाहिए तो ₹20000 लगेंगे। शिकायतकर्ता शिक्षक किशोर सिंह ने बताया कि, जब जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा हो उसके अभ्यावेदन का निराकरण नहीं किया गया और इस बात पर विश्वास हो गया कि जब तक क्लर्क महेंद्र साहू नहीं चाहेगा तब तक जिला शिक्षा अधिकारी इस समस्या का समाधान नहीं करेंगे। तब शिकायत करने का निर्णय लिया।
लोकायुक्त पुलिस द्वारा शिकायत का सत्यापन कराए जाने के बाद ट्रैप दल का गठन किया गया। शिकायतकर्ता शिक्षक को केमिकल युक्त नोट दिए गए और रिश्वत देने के लिए भेजा गया। जैसे ही शिकायतकर्ता शिक्षक ने जिला शिक्षा अधिकारी के बाबू को रिश्वत की रकम दी, मौके पर सिविल ड्रेस में मौजूद लोकायुक्त पुलिस की टीम ने उसे पकड़ लिया। केमिकल टेस्ट पॉजीटिव पाए जाने के बाद उसके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम का मामला दर्ज किया गया और उसे गिरफ्तार कर लिया गया। जांच में सहयोग करने की शर्त पर जमानत दे दी गई।
जिला शिक्षा अधिकारी, बाबू के इशारे पर हस्ताक्षर करता था
इस मामले में जरा शिक्षा अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई परंतु पूरी कहानी यह प्रमाणित करती है कि पन्ना का जिला शिक्षा अधिकारी, अपने बाबू के इशारे पर हस्ताक्षर करता था। जैसा की रिश्वत मांगने वाले बाबू ने कहा था, शिक्षक द्वारा आवेदन दिए जाने के बावजूद उसकी समस्या का निराकरण नहीं किया गया जबकि परीक्षा का समय चल रहा है और शिक्षकों की कमी है।
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