जबलपुर स्थित हाई कोर्ट ऑफ़ मध्य प्रदेश के विद्वान न्यायाधीश जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने किडनी फेल्योर के एक मरीज की याचिका को निरस्त करते हुए कहा कि हम डॉक्टर को निर्देशित नहीं कर सकते। वकील की दलील थी कि यदि तत्काल किडनी ट्रांसप्लांट नहीं किया गया तो मरीज की मृत्यु हो सकती है।
भोपाल का प्राइवेट अस्पताल किडनी ट्रांसप्लांट की तारीख ही नहीं दे रहा
याचिकाकर्ता मरीज भोपाल निवासी है। उनके अधिवक्ता ने माननीय उच्च न्यायालय को बताया कि याचिकाकर्ता किडनी फेलियर का मरीज है। यह एक क्रॉनिक किडनी डिजीज है जिसमें समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण मृत्यु का खतरा होता है। जीवन के लिए जरूरी है कि किडनी ट्रांसप्लांट किया जाए। इसके लिए उन्होंने मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम 1994 के तहत अनुमति प्राप्त कर ली है। अब कोई कानूनी बाध्यता नहीं है। निजी अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट किया जाना है। मरीज की हालत लगातार गंभीर होती जा रही है, लेकिन अस्पताल की ओर से किडनी ट्रांसप्लांट ऑपरेशन की कोई तारीख नहीं दी जा रही है। हाई कोर्ट से निवेदन किया गया कि कृपया वह डॉक्टर को निर्देशित करें कि मरीज का इलाज करें।
हाई कोर्ट ने कहा कि हम डॉक्टर को ऑपरेशन करने के निर्देश नहीं दे सकते
विद्वान न्यायाधीश श्री जीएस अहलूवालिया ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यह न्यायालय कोई डॉक्टर या विशेषज्ञ नहीं है। यह न्यायालय डॉक्टर की राय को खारिज करके अपनी राय नहीं बदल सकता। यह न्यायालय उपचार करने वाले डॉक्टर को उसकी चिकित्सी है संतुष्टि के विपरीत ऑपरेशन करने का कोई सुझाव नहीं दे सकता।