Sanya Diagnostics in Arera Colony, Bhopal के खिलाफ भोपाल जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा फैसला सुनाया गया है। आयोग ने Sanya Diagnostics कुछ सेवा में कमी का दोषी घोषित किया और कैंसर से पीड़ित महिला मरीज को ₹500000 हर्जाना अदा करने का आदेश दिया। मामले के अंत में पाया गया कि Sanya Diagnostics Bhopal द्वारा कैंसर से पीड़ित महिला मरीज की गलत रिपोर्ट बना दी गई थी। इसके कारण गलत इलाज हुआ और महिला मरीज इस समय कैंसर की चौथी स्टेज पर है।
नीलम त्रिपाठी विरुद्ध सानया डायग्नोस्टिक
प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाली एक महिला शिक्षक सुश्री नीलम त्रिपाठी, निवासी अयोध्या बायपास भोपाल ने जिला उपभोक्ता आयोग में सानया डायग्नोस्टिक के प्रबंधक, एमडी सीनियर कंसल्टेंट डा अरविंद कुमार जैन व डा. सिकंदर के खिलाफ 2022 में याचिका लगाई थी। इसमें बताया था कि, मरीज ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित थी। उनका इलाज गेस्ट्रोकेयर भोपाल में चल रहा था। डॉक्टर द्वारा उन्हें पूरी बॉडी का पीइटी सीटी स्कैन कराने का परामर्श दिया गया था। उनकी रेडियोथैरेपी व कीमोथैरेपी भी की गई। जब उन्होंने कैंसर के इलाज के लिए सानया डायग्नोस्टिक से सीटी स्कैन कराया तो रिपोर्ट में गलत जानकारी लिखी गई कि उनका यूटेरस व ओवरी सामान्य है। इस रिपोर्ट के कारण डॉक्टर ने इलाज नहीं किया और सुश्री नीलम त्रिपाठी की तबियत और ज्यादा खराब हो गई। गलत रिपोर्ट के कारण इलाज में देरी हुई। बाद में डॉक्टर द्वारा ऑपरेशन करके यूट्रस एवं ओवरी निकल गया। अभी भी मरीज का इलाज चल रहा है।
डॉक्टर अरविंद कुमार जैन व सर्जन रवि गुप्ता दोषी पाए गए
आयोग की अध्यक्ष गिरिबाला सिंह,सदस्य अंजुम फिरोज व सदस्य अरूण प्रताप सिंह ने अपने फैसले में कहा कि गलत रिपोर्ट के कारण कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के इलाज में विलंब हुआ। इससे मरीज को परेशान होना पड़ा। इसके लिए सानया डायग्नोस्टिक के प्रबंधक, एमडी व सीनियर कंसल्टेंट अरविंद कुमार जैन व लेक सिटी के सर्जन रवि गुप्ता दोषी पाए गए और उन्हें मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में पांच लाख रुपये देने होंगे। आयोग ने दो माह के अंदर मानसिक क्षतिपूर्ति राशि के साथ-साथ डायग्नोस्टिक में खर्च 18 हजार और वाद व्यय 25 हजार रुपये देने होंगे।
डायग्नोस्टिक सेंटर ने कहा, टाइपिंग में गलती हो गई थी
मरीज नीलम त्रिपाठी ने बताया कि वे चौथे स्टेज की कैंसर बीमारी से पीड़ित हैं। पीइटी सीटी स्कैन रिपोर्ट अन्य जांच से बिल्कुल भिन्न था। गलत रिपोर्ट लिखा था। इससे मुझे बार-बार रेडियोग्राफी व कीमोथैरेपी कराने से रेडिएशन कराना पड़ा, जो स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक है। इस कारण मैं मानसिक रूप से काफी परेशान हुई और स्कूल जाना भी संभव नहीं हो पाया। डायग्नोस्टिक सेंटर ने आयोग में बताया कि टाइपिंग गलती के कारण ऐसा हो गया। आयोग ने इस तर्क को खारिज कर करते हुए कहा कि मानव जीवन बहुमूल्य है एवं जीवन के खिलाफ किसी भी प्रकार की लापरवाही बरतना अपराध की श्रेणी में आएगा।
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