मध्य प्रदेश शासन के दो विभागों (उच्च शिक्षा विभाग एवं पॉलिटेक्निक डिपार्मेंट) द्वारा कॉलेज चलाए जाते हैं। दोनों में अतिथि विद्वानों की नियुक्ति की जाती है परंतु दोनों के वेतन और पॉलिसी में जमीन आसमान का अंतर है। विधानसभा चुनाव के समय तत्कालीन मुख्यमंत्री ने अतिथि विद्वानों के लिए 12-65 का फार्मूला घोषित किया। उच्च शिक्षा विभाग ने घोषणा के अनुसार फार्मूला लागू कर दिया परंतु पॉलिटेक्निक डिपार्टमेंट के अतिथि विद्वान आज भी संघर्ष कर रहे हैं।
12 माह का अनुबंध व ट्रांसफर पॉलिसी का लाभ चाहिए
प्रेस को जारी विज्ञप्ति में पालीटेक्निक अतिथि विद्वान (व्याख्याता) संघ के अध्यक्ष ऋषभ पस्टारिया व सचिव दिनेश कुमार ने बताया कि जिस प्रकार उच्च शिक्षा विभाग में कार्यरत अतिथि विद्वानों को 12 माह निरंतर व 65 वर्ष का स्थायित्व और ट्रांसफर पॉलिसी जैसी सुविधाएं दी जा रही है, उसी प्रकार तकनीकी शिक्षा विभाग के अतिथि व्याख्याताओं को भी सभी सुविधाओं का लाभ दिया जाना चाहिए। सभी सरकारी पॉलीटेक्निक एवं इंजीनियरिंग कॉलेज में कार्यरत अतिथि व्याख्याताओं को 11 माह के स्थान पर 12 माह का अनुबंध व ट्रांसफर पॉलिसी का लाभ दिया जाना चाहिए।
तकनीकी शिक्षा विभाग की अतिथि विद्वानों की मांग
दोनों पदाधिकारियों ने कहा कि, महापंचायत में साक्षी रहे प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री एवं वर्तमान में तकनीकी शिक्षा मंत्री एवं वरिष्ठ विभागीय अधिकारियों से यही निवेदन है कि तकनीकी शिक्षा विभाग में कार्यरत पॉलीटेक्निक एवं इंजीनियरिंग कॉलेजों में कार्यरत अतिथि व्याख्याताओं को उच्च शिक्षा विभाग के अतिथि विद्वानों के समान 12 माह निरंतर व 65 वर्ष का स्थायित्व और ट्रांसफर पॉलिसी जैसी सुविधाएं लागू कर, कार्यरत अतिथि व्याख्याताओं का डाटा विभागीय पोर्टल पर सार्वजनिक किया जाए।
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