अल्बर्ट आइंस्टीन से जुड़ी कुछ मजेदार कहानियां - Motivational story in Hindi

Bhopal Samachar
दुनिया के महान वैज्ञानिकों में से एक अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म 14 मार्च 1879 में जर्मनी में हुआ था। आइंस्टाइन ने पेन और कागज की सहायता से ऐसे सिद्धांत दिए थे, जिन्होंने विज्ञान को पलट कर रख दिया, उनकी दिशा ही बदल दी थी। दोस्तों आज हम आपको अपने इस पोस्ट में दुनिया के महान वैज्ञानिक माने जाने वाले अल्बर्ट आइंस्टाइन से जुड़े कुछ ऐसे तथ्य बताने जा रहे हैं .जिसके बारे में शायद आपने पहले कभी नहीं सुना होगा।

दोस्तों अल्बर्ट आइंस्टाइन का जन्म 14 मार्च को पूरी दुनिया में ‘जीनियस डे’ के नाम से मनाया जाता है।
एक बार अल्बर्ट आइंस्टाइन कहीं जाने के लिए क्रिस्टिन से ट्रेन में सफर कर रहे थे। जब टिकट चेकर उनके पास आया तो वह अपनी टिकट दिखाने के लिए अपना हाथ जेब में डालें। जेब में टिकट ना मिलने पर उन्होंने अपने सूटकेस को चेक किया वहां भी टिकट को ना पाकर वह टिकट को अपनी सीट के आसपास खोजने लगे। यह देख कर टिकट चेकर ने अलबर्ट आइंस्टाइन से कहा कि तुम्हारा टिकट गुम हो गया हो तो, कोई बात नहीं वह उन्हें अच्छी तरह से पहचानता है। और उन्हें विश्वास है कि टिकट जरूर खरीदी गई होगी। टिकट चेक कर जब बाकी के लोगों का टिकट चेक करके वापस जा रहा था, तो उन्होंने देखा कि अल्बर्ट आइंस्टाइन अभी भी अपनी सीट के नीचे अपना टिकट को ढूंढ रहे हैं। जब टिकट चेकर ने फिर से उनको कहा कि वह टिकट के लिए परेशान ना हो उन्हें टिकट नहीं मांगा जाएगा। टिकट चेकर की यह बातें सुनकर अल्बर्ट आइंस्टाइन ने कहा, पर टिकट के बिना मुझे पता कैसे चलेगा कि मैं कहां जा रहा हूं?
जब आइंस्टाइन विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे, तब एक दिन एक छात्र उनके पास आया वह बोला कि सर इस साल परीक्षा में वही प्रश्न आए हैं जो पिछले साल के परीक्षा में आए थे। अल्बर्ट आइंस्टाइन ने कहा लेकिन… इस साल उत्तर बदल गए हैं।
अल्बर्ट आइंस्टाइन की यादाश्त कुछ ज्यादा अच्छी नहीं थी। उन्हें डेट्स और मोबाइल नंबर भी याद रखने में प्रॉब्लम होती थी। उन्हें उनका खुद का नंबर भी याद नहीं रहता था।
आइंस्टाइन के एक सहकर्मी ने उनसे उनका टेलीफोन नंबर पूछा तब आइंस्टाइन अपने पास रखे डायरी में अपना टेलीफोन नंबर ढूंढने लगे। सहकर्मी चकित होकर बोला आपको अपना खुद का टेलीफोन नंबर भी याद नहीं है। अल्बर्ट आइंस्टाइन बोले नहीं मैं किसी ऐसे चीज को भला क्यों याद रखूं, जो मुझे किताब में ढूंढने से मिल जाती है।
अल्बर्ट आइंस्टाइन कहा करते थे कि वह कोई भी ऐसी चीज याद नहीं रखते जिसे 2 मिनट में ढूंढा जा सकता हो।
एक बार अल्बर्ट आइंस्टाइन को उनके गणित के प्रोफेसर ने उन्हें ‘लेजी डॉग’ तक कह दिया था क्योंकि वह पढ़ाई में बहुत ही ज्यादा कमजोर थे।
वैसे तो दोस्तों अलबर्ट आइंस्टाइन कि सभी खोजें विश्व प्रसिद्ध है, लेकिन उनकी सबसे ज्यादा प्रसिद्धि तब हुई थी जब उन्होंने सबसे प्रशिद्ध खोज सापेक्षतावाद का सिद्धांत अर्थात E = mc2 पर पत्र प्रकाशित किया था, अर्थात इसकी खोज की थी। जापान में गिरा बम इसी फार्मूले पर आधारित थे, मगर अलबर्ट आइंस्टाइन जिंदगी भर अपने इस गलत प्रयोग के विरुद्ध थे। I
एक बार अल्बर्ट आइंस्टाइन को उनके अजीब व्यवहार के कारण उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया था क्यों की वह 17 साल की उम्र में कॉलेज एंट्रेंस के सारे एग्जाम में गणित और विज्ञान को छोड़कर सभी विषयों में फेल हो गए थे।
आइंस्टाइन लोगों को हमेशा चार्ज रखने के लिए अपने ऑटोग्राफ दिया करते थे, और अपनी सारी दौलत दान में दिया करते थे।
1952 ईस्वी मे अमेरिका ने अल्बर्ट आइंस्टाइन को इजराइल का राष्ट्रपति बनाने की पेशकश की, परंतु आइंस्टाइन ने यह पेशकश यह कहकर ठुकरा दि की वह राजनीति के लिए नहीं बने हैं।
दोस्तों जब आइंस्टाइन प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में कार्यरत थे, तो एक दिन यूनिवर्सिटी से घर वापस आते समय वह अपने घर का ही पता भूल गए। यद्यपि प्रिंसटन के अधिकतर लोग आइंस्टाइन को पहचानते थे किंतु वह जिस टैक्सी में बैठे थे, उस टैक्सी का ड्राइवर उन्हें नहीं पहचानता था। आइंस्टाइन ने ड्राइवर से कहा कि क्या तुम्हें आइंस्टाइन का पता मालूम है? तो ड्राइवर ने जवाब दिया प्रिंसटन में भला कौन उनका पता नहीं जानेगा। यदि आप उनसे मिलना चाहते हो तो मैं आपको उनके घर तक पहुंचा सकता हूं। तब आइंस्टाइन ने ड्राइवर को बताया की वही अल्बर्ट आइंस्टाइन है, और अपने घर का पता भूल गए हैं। यह जानकर टैक्सी ड्राइवर ने उन्हें उनको घर तक पहुंचाया और आइंस्टाइन के बार-बार आग्रह करने के बावजूद भी टैक्सी का भाड़ा नहीं लिया।
अल्बर्ट आइंस्टीन अपने पुरे जीवन में कभी भी गणित विषय में असफल नहीं हुए. उन्होंने 15 साल की उम्र में कैलकुलस में महारथ हासिल की थी।
धन्यवाद


अल्बर्ट आइंस्टीन अपनी सरल जीवनशैली और अजीब तरीके से कपड़े पहनने के लिए जाने जाते थे. उनके बारे में दो मजेदार प्रसंग याद आते हैं.


एक बार अल्बर्ट आइंस्टीन की पत्नी नें उनसे कहा कि जब वह काम पर जाएँ तो वे अधिक पेशेवर पोशाक पहना करें।


"क्यों?" आइंस्टीन का तर्क था "वहां तो हर कोई मुझे जानता है।"


जब आइंस्टीन का अपने पहले बड़े सम्मेलन में भाग लेने का समय आया, तो उनकी पत्नी नें उनसे थोड़े अच्छे कपड़े पहनने को कहा।


"क्यों?" आइंस्टीन ने कहा "मुझे वहाँ कोई नहीं जानता है!"

आइंस्टीन एक बार प्रिंसटन से एक ट्रेन में यात्रा कर रहे थे, जब कंडक्टर यात्रियों का टिकट चेक करने आया। जब वह आइंस्टीन के पास आया, तो आइंस्टीन क्या आप अल्बर्ट आइंस्टीन की एक कोई विचित्र घटना साझा कर सकते हैं?
बचपन में कक्षा में साइंस के टीचर ने कहा की " अगर ईश्वर है तो मैं ये साबित करूँगा की ईश्वर बुरा है क्यूंकि ईश्वर ने दुनिया बनायीं है तो उसने बुराई भी बनायीं है, इसीलिए ईश्वर बुरा है "

इसपर अल्बर्ट आइंस्टीन ने हाथ उठाकर कहा " माफ़ करियेगा गुरूजी , एक प्रश्न पुछु इजाजत हो तो ?

गुरूजी ने कहा "पूछिए "
अल्बर्ट "क्या ठण्ड का अस्तित्व है ? "

गुरूजी "ये केसा प्रश्न है , निस्संदेह ठण्ड का अस्तित्व है, क्या आपको कभी ठण्ड महसूस नहीं हुई अल्बर्ट? "
अल्बर्ट "गुरूजी, ठंडे का अस्तित्व नहीं होता है , भौतिकी के नियम के अनुसार ठंडा होना मात्र गर्मी का आभाव है , "गुरूजी क्या अँधेरे का अस्तित्व है? "

गुरूजी " बिलकुल अँधेरे का अस्तित्व होता है "
अल्बर्ट "नहीं गुरूजी , अँधेरे का अस्तित्व भी नहीं है। अँधेरा का अर्थ प्रकाश की कमी होना है और हम प्रकाश का अध्ययन कर सकते हैं अँधेरे का नही। इसी प्रकार बुराई भी ठण्ड और अँधेरे की तरह है , भगवन ने बुराई नहीं बनायीं , बुराई का अस्तित्व तब होता जिसके ह्रदय में ईश्वर के अस्तित्व की कमी है "
गुरूजी निशब्द थे।
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