दहेज मृत्यु अथवा दहेज हत्या के मामलों में हमेशा विवाद बना रहता है कि किस प्रकार की और किन परिस्थितियों में हुई महिला की मृत्यु को दहेज मृत्यु मान जाए। शांति बनाम हरियाणा राज्य मामले मे सुप्रीम कोर्ट द्वारा विनिश्चय किया कि दहेज मृत्यु के अपराध के होने के लिए निम्न तत्त्वों का होना अति-आवश्यक है।
दहेज मृत्यु के अपराध के लिए निम्न तत्व का होना अनिवार्य
1. महिला की मृत्यु विवाह के सात वर्ष के अंदर हुई हो।
2. महिला की मृत्यु अप्राकृतिक दशा में जलने के कारण या शारीरिक चोट के कारण हुई हो।
3. मृत्तिका महिला पति या पति के रिश्तेदारों से पीड़ित हो।
4. प्रताड़ना दहेज की माँग को लेकर की जा रही हो।
5. सर्वाधिक महत्वपूर्ण तत्व यह है कि क्रूरता या उत्पीड़न मृत्यु के तुरंत पहले हुआ हो।
इस प्रकार स्पष्ट हुआ कि केवल ससुराल पक्ष की ओर से आरोप लगा देने मात्र से अथवा दहेज की मांग प्रमाणित कर दिए जाने से, किसी भी महिला की मृत्यु को दहेज मृत्यु नहीं कहा जा सकता, जब तक कि उसे प्रताड़ित किए जाने का प्रमाण उपस्थित ना हो।
भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 79 अथवा भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 304ख की परिभाषा
जहाँ किसी महिला की मृत्यु उसकी शादी के सात वर्ष के भीतर उससे पति या नातेदार द्वारा क्रूरता या उत्पीड़न के तुरंत बाद हो जाती है वहा वह दहेज मृत्यु का अपराध होगा।
स्पष्टीकरण:- अगर दहेज की बार-बार माँग करने के कारण महिला खुद आत्महत्या कर लेती है तब यह दहेज मृत्यु का अपराध होगा।
Bharatiya Nyaya Sanhita Section 79 or Indian Penal Code Section 504B Provision of punishment
इस धारा के अपराध संज्ञेय एवं अज़मानतीय होते हैं। अतः अगर किसी महिला के साथ ये अपराध होता है तो वह इसकी FIR डायरेक्ट थाने में दर्ज करवा सकती है। इस अपराध की सुनवाई सेशन कोर्ट द्वारा की जा सकती है। पुलिस पर्याप्त साक्ष्य होने के बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं करती है तब मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के पास अपराध की शिकायत की जा सकती है। इस अपराध के लिए अधिकतम आजीवन कारावास एवं कम से कम 7 वर्ष की कारावास से दण्डित किया जा सकता है। लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।
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