नाम के साथ जाति और धर्म के उल्लेख पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई - Hindi News

Bhopal Samachar

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने किसी भी व्यक्ति के नाम के साथ उसकी जाति और धर्म के उल्लेख पर पाबंदी लगा दी है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट और भारत के सभी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के लिए जारी किया गया है, लेकिन यह एक बड़ी पहल है और शीघ्र इसका प्रभाव सरकारी कामकाज पर भी दिखाई देगा। 

भारत में जातिवाद के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का बड़ा कदम 

शमा शर्मा बना किशन कुमार मामले में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, हमें किसी भी मुकदमेबाज़ की जाति/धर्म का उल्लेख करने का कोई कारण नहीं दिखता है, न तो इस न्यायालय के समक्ष और न ही निचली अदालतों के समक्ष। ऐसी प्रथा को त्याग दिया जाना चाहिए और इसे तुरंत बंद कर दिया जाना चाहिए। इसलिए यह उचित समझा जाता है कि एक सामान्य आदेश पारित किया जाए जिसमें निर्देश दिया जाए कि आगे से किसी भी याचिका/कार्यवाही के पार्टियों के ज्ञापन में इस न्यायालय के समक्ष दायर किए जाने वाले पक्षों की जाति या धर्म का उल्लेख नहीं किया जाएगा, चाहे ऐसी कोई भी जानकारी निचली अदालतों के समक्ष प्रस्तुत की गई हो या नहीं। 

सभी उच्च न्यायालयों को यह सुनिश्चित करने के लिए भी निर्देश जारी किया जाता है कि किसी मुकदमेबाज़ की जाति/धर्म किसी भी याचिका/मुकदमे/कार्यवाही में पार्टियों के ज्ञापन में नहीं दिखाई देता है जो उच्च न्यायालय या उनके संबंधित क्षेत्राधिकार के अधीन अधीनस्थ न्यायालयों के समक्ष दायर किया जाता है। 

सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया फैसला भारत में जातिवाद के खिलाफ बड़ा कदम माना जा रहा है। पिछले कुछ सालों में जातिवाद का तनाव सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा है। विभिन्न जातियों के लोग सरकार से विशेष लाभ पाने के लिए सामूहिक प्रदर्शन करते हैं और उनके दबाव में अथवा वोट की लालच में राज्य सरकारों द्वारा स्थापित आरक्षण के कानून में बदलाव किए हैं।

अब तो स्थिति यह हो गई है कि परीक्षा के प्रत्येक चरण में और सरकारी नौकरी के प्रत्येक अवसर पर आरक्षण की मांग की जाने लगी है। यदि कोई परीक्षा तीन चरण में संपन्न होनी है तो तीनों चरणों में आरक्षण की मांग की जा रही है। सरकारी नौकरी में नियुक्ति के अलावा प्रमोशन में भी आरक्षण की मांग की गई और अब सरकारी आवास आवंटन एवं सरकारी सुविधाओं में भी आरक्षण की मांग की जा रही है। यहां तक कहा जा रहा है कि यदि दो कर्मचारियों ने एक साथ छुट्टी के लिए आवेदन दिया है और किसी एक कर्मचारी को छुट्टी दी जा सकती है तो आरक्षित जाति वाले कर्मचारियों को छुट्टी दी जानी चाहिए क्योंकि उसे आरक्षण प्राप्त है।



#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!