बहुत से लोगों के मन मे एक प्रश्न उत्पन्न होता है कि आपराधिक षड्यंत्र के अपराध में दो या उससे अधिक व्यक्तियों का होना आवश्यक होता है। क्या एक अकेले व्यक्ति को इसका दोषी नहीं माना जा सकता है। तो जानिए उसका जवाब निम्न जजमेंट द्वारा :-
1. हरधर चक्रवर्ती बनाम भारत संघ एवं टोपनदास बनाम बम्बई राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा कहा गया कि दो या अधिक व्यक्ति का होना ही पर्याप्त नहीं है अपितु उनमे किसी अवैध कार्य को करने या वैध कार्य को करने के लिए अवैध साधनो में भी सहमति होनी चाहिए, अतः यदि षड्यंत्र के लिए अभियोजित दो व्यक्तियों में से एक को दोषमुक्त कर दिया जाता है तो दूसरे को दण्डित नहीं किया जा सकता है क्योंकि अकेला व्यक्ति स्वयं से षड्यंत्र का समझोता नहीं कर सकता है।
2. फरुखद्दीन बनाम मध्यप्रदेश राज्य मामले मे अभिनिर्धारित किया कि जहां आरोपी के अलावा अन्य सभी को आपराधिक षड्यंत्र के आरोप से दोषमुक्त कर दिया गया हो, तो अपराध स्वंय समाप्त हो जाता है एवं अकेले बचे आरोपी को दोषी ठहराया नहीं जा सकता है।
3. मदन लाल भंडारी बनाम राजस्थान राज्य मामले मे नर्स को गर्भपात करने के लिए आरोप में दोषमुक्त किए जाने के कारण उसके साथ इस षड्यंत्र में शामिल एक अन्य षडयंत्रकारी को भी दोषमुक्त कर दिया क्योंकि कोई व्यक्ति अकेले ही षड्यंत्र नहीं रच सकता है।
कुल मिलाकर कहे तो किसी अकेले व्यक्ति को आपराधिक षड्यंत्र के अपराध का दोषी नहीं ठहराया जा सकता है इसके लिए दो या दो से अधिक व्यक्ति का होना अति आवश्यक है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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