Legal general knowledge and law study notes
भारतीय संविधान में सभी नागरिकों को छ: प्रकार के मौलिक अधिकार प्राप्त है, महिलाओं को समानता का अधिकार है एवं उन्हें जीवन की स्वतंत्रता प्राप्त है। अगर कोई व्यक्ति महिलाओं को कमज़ोर समझकर उनके साथ यौन उत्पीड़न करेगा, यह अपराध भारतीय संविधान के मौलिक अधिकार का उल्लंघन होगा। जानिए सुप्रीम कोर्ट महत्वपूर्ण जजमेंटएप्रल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल बनाम ए. के. चोपड़ा वाद:-
इस मामले मे ए.के. चोपड़ा पर विभागीय जाँच प्रकिया में यह आरोप सिद्ध हुआ था कि उसने चेयरमैन के निजी सहायक के पद कार्य करते हुए परिषद् में काम करने वाली महिला से यौन उत्पीड़न किया था। जिसके कारण उसे परिषद् ने अनुशासनात्मक कार्यवाही में दण्डस्वरुप सेवा से बर्खास्त कर दिया था किन्तु हाइकोर्ट ने उसे उसकी सेवा पर ज्यों का त्यों रखने के लिए आदेश दिया। परिषद् ने इसका विरोध किया एवं सुप्रीम कोर्ट में इस आदेश के खिलाफ अपील प्रस्तुत की। इस पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाइकोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले मे अभिनिर्धारित किया कि कामकाजी महिलाओं के यौन उत्पीड़न के मामले को संविधान में प्रदत मौलिक अधिकार का उल्लंघन माना है, जो कि संविधान के अनुच्छेद 15 (लैंगिक समता) एवं अनुच्छेद 21 (प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता) के अधिकार का उल्लंघन है, अर्थात भारतीय दण्ड संहिता की धारा 354क में अपराध के साथ लैंगिक उत्पीड़न भारतीय संविधान के मौलिक अधिकार अनुच्छेद 15 एवं अनुच्छेद 21 का उल्लंघन होगा, और इस प्रकार की अपराधी को सेवा से बर्खास्त कर देना उचित है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद), इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com