जबलपुर स्थित हाई कोर्ट ऑफ़ मध्य प्रदेश द्वारा उस याचिका पर फैसला सुना दिया गया है, जिसमें सन 2005 के पूर्व में नियुक्त हुए शिक्षाकर्मी और संविदा शिक्षकों द्वारा पुरानी पेंशन योजना के तहत लाभ के लिए पात्रता घोषित करने का निवेदन किया गया था।
ट्राईबल वेलफेयर टीचर्स एसोसिएशन की पुरानी पेंशन याचिका का फैसला
ट्राईबल वेलफेयर टीचर्स एसोसिएशन एवं अन्य शिक्षकों की ओर से याचिका दाखिल की गई थी। माननीय उच्च न्यायालय को बताया गया था कि उनकी नियुक्ति शिक्षा कर्मी एवं संविदा शाला शिक्षक वर्ग एक, वर्ग दो एवं वर्ग 3 के रूप में हुई थी। इसके बाद उनका संविलियन अध्यापक कदर में किया गया और मध्य प्रदेश सरकार ने सन 2018 में राज्य शैक्षिक संवर्ग में उनकी सेवाओं का संविलियन किया। यहां प्राथमिक शिक्षक, माध्यमिक शिक्षक तथा उच्च माध्यमिक शिक्षक कैटिगरी दी गई। इस संविलियन प्रक्रिया के बाद सभी मध्य प्रदेश शासन के कर्मचारी हो गए।
याचिका में कहा गया कि उनकी नियुक्ति सन 2005 के पहले हुई थी। इसलिए उन्हें पुरानी पद्धति से पेंशन का अधिकार है। याचिका में यह भी बताया गया कि माननीय हाईकोर्ट द्वारा मध्य प्रदेश की विभिन्न जिला एवं जनपद पंचायत के कर्मचारियों को, मध्य प्रदेश शासन का कर्मचारी माना है। इसी प्रकार उन्हें भी शासन का कर्मचारी माना जाए और पुरानी पेंशन योजना के लिए पात्र घोषित किया जाए।
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के विद्वान न्यायाधीश जस्टिस विवेक अग्रवाल ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि, याचिकाकर्ताओं की नियुक्ति मध्य प्रदेश पंचायत शिक्षा कर्मी भर्ती एवं शर्तें सेवा नियम 1997 के तहत जिला पंचायत अथवा जनपद पंचायत के अंतर्गत हुई थी। इसके बाद सरकार ने स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत एक नया संवर्ग बनाकर, उसमें सभी की सेवाओं का संविलियन कर दिया। इसलिए सभी की नवीन नियुक्ति मानी गई, और पंचायत के अंतर्गत दी गई उनकी सेवाओं को शून्य घोषित कर दिया गया। यही कारण है कि, शिक्षाकर्मी एवं संविदा शिक्षकों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ नहीं दिया जा सकता। याचिका खारिज कर दी गई।