मध्य प्रदेश में अपनी न्याय यात्रा लेकर आए कांग्रेस पार्टी के नेता श्री राहुल गांधी आज रतलाम से राजस्थान की सीमा में प्रवेश कर गए। इस यात्रा में उनका क्या फायदा हुआ यह तो श्री जयराम रमेश ही बता पाएंगे परंतु यह बात पक्के तौर पर कहीं जा सकती है कि झाबुआ और रतलाम के आदिवासियों का दिल टूट गया। इंदिरा गांधी के कारण रतलाम और झाबुआ के आदिवासी पिछले 44 सालों से कांग्रेस पार्टी के निष्ठावान बने हुए थे। अब राहुल गांधी के कारण मध्य प्रदेश का आदिवासी समुदाय क्या रिएक्ट करेगा, रिजल्ट वाले दिन पता चल पाएगा।
राहुल गांधी ने रतलाम में क्या गलती की
मध्य प्रदेश के आदिवासी बड़े संवेदनशील हैं। वह पीढ़ी और परंपरा में विश्वास रखते हैं। पुरखों ने जिसको अपना मान लिया, उसके प्रति आने वाली हर पीढ़ी निष्ठावान बनी रहती है। सन 1979 में श्रीमती इंदिरा गांधी रतलाम के सैलाना में आई थी। यहां उन्होंने रात में 12:00 बजे आदिवासी समुदाय की एक बैठक को संबोधित किया। यह बात मध्य प्रदेश के आदिवासियों के दिलों में घर कर गई थी। इंदिरा गांधी जैसी महिला रात में 12:00 बजे, आदिवासियों के हित की बात कर रही है। तब से लेकर आज तक इस क्षेत्र के आदिवासियों ने हर उसे व्यक्ति को वोट दिया जिसके मंच पर किसी गांधी का फोटो होता था।
पूरे 44 साल बाद गांधी परिवार का कोई सदस्य, राहुल गांधी रतलाम आए। आदिवासियों को उम्मीद थी कि इंदिरा गांधी की तरह राहुल गांधी भी सैलाना में कोई ऐतिहासिक बैठक करेंगे परंतु राहुल गांधी ने आदिवासियों को इग्नोर कर दिया और आगे बढ़ गए। इस घटना ने मध्य प्रदेश के आदिवासी समुदाय का दिल तोड़ दिया है।
दिग्विजय सिंह ने भी माना गलती हो गई
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने रतलाम में कहा, '1979 में इंदिरा गांधी ने सैलाना, रतलाम का दौरा किया था। रात 12 बजे यहां एक सार्वजनिक बैठक आयोजित की गई थी। इसके बाद वे 2 बजे एक और बैठक करने के लिए मंदसौर चली गईं। हम कल यहां (राहुल गांधी की) बैठक करना चाहते थे, लेकिन हम चूक गए। आदिवासी क्षेत्र लंबे समय से कांग्रेस पार्टी का समर्थक रहा है।
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