मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा, जबलपुर के योगेंद्र दुबे ,अटल उपाध्याय ने प्रदेश के अधिकारियों और कर्मचारियों को केंद्रीय कर्मचारियों के समान लंबित आठ प्रतिसत मंहगाई भत्ता देने की मांग की है। प्रदेश के अधिकारियों कर्मचारियों एवं पेंशनरों को वर्तमान में 42% महंगाई भत्ता मिल रहा है ,जुलाई 2023 से 4% महंगाई भत्ता लंबित था, केंद्रीय कर्मचारियों को जनवरी से 4 प्रतिशत महगाई भत्ते की घोषणा होने पर प्रदेश का कर्मी 8 प्रतिसत पीछे हो गया है।
मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा जबलपुर जिलाध्यक्ष अटल उपाध्याय, नरेश शुक्ला ,संतोष मिश्रा, विश्वदिप पटेरिया ने बताया है सरकार ने विधानसभा चुनाव के समय आयोग से चार प्रतिशत महगाई भत्ता देने अनुमति मांगी थी जो नही मिली थी। आज कर्मचारियों को प्रतिमाह हजारों रुपए कम मिल रहे है। योगेंद्र मिश्रा, सतीश उपाध्याय, अजय दुबे, नरेंद्र सैन, विनय नामदेव, दुर्गेश पाण्डे, गोविन्द विल्थरे, एस.पी. बाथरे, वीरेन्द्र चन्देल ,ब्रजेश मिश्रा, नरेंद्र सैन,अर्जन सोमवंसी , विनय नामदेव ने प्रदेश के कर्मचारियों को लंबित आठ प्रतिशत मंहगाई देने की मांग की है।
मध्य प्रदेश तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव उमाशंकर तिवारी
उधर, तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव उमाशंकर तिवारी ने कहा कि महाशिवरात्रि एवं होली का त्योहार लाड़ली बहनें खुशी से मना सकें, इसको लेकर मध्य प्रदेश सरकार ने हर महीने की 10 तारीख को दिए जाने वाला पैसा 1 मार्च को ही उनके खाते में पहुंचा दिया गया।
दूसरी ओर, सेवारत और रिटायर्ड 12 लाख कर्मचारियों को 8 महीने से महंगाई भत्ता-राहत एवं 12 साल से वाहन भत्ता, मकान किराया भत्ता नहीं बढ़ाया जा रहा। वेतन भत्ते न बढ़ने से आर्थिक परेशानी का सामना कर्मचारी एवं उसके परिवार को करना पड़ता है।
कर्मचारियों को मिलने वाले लाभ समय पर न देकर अन्य योजनाओं में सरकार पैसा खर्च कर रही है। एक ओर केंद्र की नरेंद्र मोदी की सरकार में मोदी की घोषणाओं पर अमल और लाभ दिलाने की गारंटी की बात कही जाती है। दूसरी ओर प्रदेश के 7.5 लाख कर्मचारियों और 4.5 लाख पेंशनर्स के साथ धोखा किया जा रहा है। IAS, IPS और IFS अफसरों को तुरंत भत्ता मंजूर कर दिया जाता है और कर्मचारियों को मिलने वाली भत्ते की राशि सवा साल से रोक कर रखी गई है।
समग्र शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुरेशचंद्र दुबे और प्रदेश संरक्षक मुरारीलाल सोनी
समग्र शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुरेशचंद्र दुबे और प्रदेश संरक्षक मुरारीलाल सोनी का कहना है कि राज्य के कर्मचारी और पेंशनर्स केंद्र द्वारा जुलाई 2023 से चार प्रतिशत महंगाई भत्ता दिए जाने से पहले ही 4% महंगाई भत्ते से पीछे थे, केंद्र द्वारा जनवरी 2024 से 4% महंगाई भत्ते बढ़ाए जाने के बाद राज्य के कर्मचारी महंगाई भत्ते में अब 8% पीछे हो गए है। वरिष्ठ कर्मचारी नेता मुरारीलाल सोनी का यह भी कहना है छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश में एक ही पार्टी की सरकार होने बावजूद प्रदेश के सेवानिवृत्त कर्मचारियों को धारा 49 के फेर में जबरन उलझाया जा रहा है जिसे सरकार को तत्काल समाप्त कर सेवानिवृत्त कर्मचारियों को केंद्र के समान महंगाई राहत प्रदान करना चाहिए।
समग्र शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री संजय तिवारी
समग्र शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री संजय तिवारी का कहना है कि राज्य सरकार को केंद्र द्वारा घोषित देय तिथि से राज्य के कर्मचारियों और पेंशनर्स को 8% महंगाई भत्ता और राहत देने का तत्काल निर्णय लेना चाहिए. राज्य का समूचा कर्मचारी जगत वेतन विसंगति, OPS , प्रमोशन, लंबित स्वास्थ्य बीमा योजना,चतुर्थ क्रमोन्नत वेतनमान, अवकाश नगदीकरण जैसे मसलों को लेकर वैसे भी राज्य सरकार से नाराज चल रहा हैं, ऐसे में महंगाई भत्ते जैसे जायज हक को रोककर राज्य सरकार संपूर्ण कर्मचारी जगत की नाराजगी और बढ़ा रही है, जो हाल ही में होने वाले लोकसभा चुनाव की दृष्टि से उचित कदम नहीं माना जा सकता, उन्होंने कहा कि महंगाई भत्ते के मुद्दे को लेकर प्रदेश के सभी प्रमुख संगठन प्रतिनिधि जल्द ही मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव जी से भेंट करेंगे।
मध्यप्रदेश राज्य कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री हेमंत श्रीवास्तव
मध्यप्रदेश राज्य कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री हेमंत श्रीवास्तव का कहना है कि पूर्व से लंबित 4% महंगाई भत्ता जुलाई माह से दिया जाना था किंतु विधानसभा निर्वाचन की आचार संहिता के कारण मध्यप्रदेश के कर्मचारियों का महंगाई भत्ता लंबित हुआ था किंतु 4 माह व्यतीत होने के उपरांत भी महंगाई भत्ते की घोषणा न होने से प्रदेश के कर्मचारी और पेंशनर्स में जबरदस्त नाराजगी बढ़ रही है जो चुनाव की दृष्टि सरकार के लिए ठीक नहीं है, राज्य में 13 मार्च के बाद कभी भी आदर्श आचार संहिता लागू हो सकती है ऐसे में राज्य के कर्मचारियों और पेंशनर्स को लोकसभा की आदर्श आचार संहिता के पूर्व 8% मंहगाई भत्ता/राहत देने हेतु राज्य सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए।
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