मध्य प्रदेश की बिजली वितरण व्यवस्था में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। बिजली कंपनियां अपने कर्मचारियों की संख्या कम करने जा रही है। रेजिडेंशियल वेलफेयर सोसाइटियों को एक डिस्ट्रीब्यूटर की तरह नियुक्त करने की तैयारी है। कॉलोनी में समिति के नाम से कनेक्शन दिया जाएगा और समिति वहां रहने वाले सभी लोगों बिजली सप्लाई करेगी एवं वसूली का काम करेगी। इसके बदले में समिति को उपभोक्ताओं की तरफ से सेवा शुल्क मिलेगा। बिजली कंपनी अपनी तरफ से कुछ नहीं देगी।
डिस्ट्रीब्यूटर का कमीशन उपभोक्ताओं को देना होगा
नगर पालिका निगम की तरह बिजली कंपनी भी अब अपना डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क तैयार करने जा रही है। जिस प्रकार नगर पालिक निगम मध्य प्रदेश में प्राइवेट रेजिडेंशियल सोसायटी को एक कनेक्शन देती है और फिर वह कॉलोनी में रहने वाले सभी लोगों को कनेक्शन देकर जलकर वसूली का काम करती है ठीक उसी प्रकार बिजली सप्लाई का काम भी किया जाएगा। इसके बदले में रेजिडेंशियल सोसायटी को बिजली कंपनी की ओर से कुछ नहीं दिया जाएगा बल्कि एक अधिकार दिया जाएगा कि वह अपनी कॉलोनी में रहने वाले नागरिकों से सेवा शुल्क की वसूली कर सकती है। इस व्यवस्था के लागू होने से पहले तक मध्य प्रदेश में सभी बिजली उपभोक्ता सीधे बिजली कंपनी से कनेक्ट होते हैं। बिजली कंपनी उन्हें सभी प्रकार की सेवाएं देती है और उपभोक्ता सीधे बिजली बिल जमा करते हैं। बीच में कोई डिस्ट्रीब्यूटर नहीं होता।
बिजली कंपनी ने ऐलान कर दिया है कि यदि किसी को इस व्यवस्था से कोई आपत्ति है तो वह 12 अप्रैल तक लंबी सरकारी प्रक्रिया का पालन करते हुए अपने आपत्ति दर्ज करवा सकता है। लोकसभा चुनाव के बीच में पब्लिक इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया दे पाएगी, इसकी उम्मीद कम है। इस व्यवस्था के लागू हो जाने से बिजली कंपनी को फायदा होगा लेकिन उपभोक्ताओं को नुकसान होगा। अभी उपभोक्ताओं को बिजली की कीमत के साथ कई प्रकार के टैक्स भी देने पड़ते हैं, अब इसमें सेवा शुल्क भी जुड़ जाएगा।
अब तक सिर्फ एक आपत्ति आई है
बिजली मामलों के जानकार सेवानिवृत्त अतिरिक्त मुख्य अभियंता मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी के राजेन्द्र अग्रवाल ने नए बदलाव पर आपत्ति दर्ज करवाई है। राज्य विद्युत नियामक आयोग इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कोड में हुए बदलाव पर आई आपत्तियों पर सुनवाई के बाद 16 अप्रैल को अपना फैसला सुनाएगा। यदि छुट्टी वाले दिन बिजली बिल जमा करने के लिए कर्मचारी नियुक्त किए जाते हैं तो बिजली कंपनी की ओर से यह समाचार सभी समाचार पत्रों में प्रकाशित करवाया जाता है परंतु इतने बड़े मुद्दे पर जनता को यह तक नहीं बताया गया है की आपत्ति कहां और किस प्रकार से दर्ज करवाई जा सकती है।
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