मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के एक्स टाउन प्लानर श्री सुरेश कुलश्रेष्ठ के खिलाफ EOW द्वारा 12 साल लंबी जांच के बाद मामला दर्ज कर लिया गया है। श्री कुलश्रेष्ठ पर आरोप है कि, उन्होंने टेलीकॉम हाउसिंग डेवलपमेंट सोसाइटी का फर्जी नक्शा पास किया था। इस नशे के आधार पर समिति के अध्यक्ष ने ठगी का काम किया था। ईओडब्ल्यू ने समिति की अध्यक्ष दशरथ लाल जोशी को भी आरोपी बनाया है।
प्रमोद कुमार मुद्गल ने 2012 में शिकायत की गई थी
मध्य प्रदेश शासन के आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ के अधिकारियों द्वारा बताया गया कि, बावरियाकलां स्थित 1988 में 8.44 एकड़ भूमि संस्था के नाम पर खरीदी गई थी। इसके बाद टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से नक्शा पास कराया। नियम था कि 15% क्षेत्र गरीब वर्ग के लिए आरक्षित करना है लेकिन गरीब वर्ग की जगह समिति ने अपने हिस्से में जमीन को शामिल कर लिया। प्रावधान था कि 80 फीट की सड़क होगी लेकिन 40 फीट सड़क संशोधित करके नक्शा पेश किया गया। उपसंचालक नगर और ग्राम निवेश ने गरीबों की भूमि को संस्था को वापस कर दिया। इसके बाद कभी भी गरीब बस्ती के नाम पर जमीन का आवंटन नहीं हुआ। कोलार में रहने वाले प्रमोद कुमार मुद्गल ने इस पूरे फर्जीवाडे़ की शिकायत ईओडब्ल्यू से साल 2012 में की थी।
दूर संचार ग्रहण निर्माण सहकारी समिति के सदस्य है प्रमोद कुमार मुद्गल
उन्होंने बताया कि वह दूर संचार ग्रहण निर्माण सहकारी समिति के सदस्य हैं। मुद्गल ने तत्कालीन समिति के अध्यक्ष दशरथ लाल जोशी से 1988 में 1500 स्क्वायर फीट का प्लॉट लिया था। मुदगल के प्लाट का नामांतरण 1990 में हुआ इसके बाद आवंटित जमीन का कब्जा मुद्गल को नहीं दिया गया और उसकी जगह पर पार्क के लिए आवंटित आरक्षित भूमि पर 12 प्लॉट बिना टीएसपी की अनुमोदन के ही कई सदस्यों के नाम पर ट्रांसफर कर दिए गए।
जांच एजेंसी ने पाया कि दशरथ लाल जोशी ने खुद के नाम पर और पुत्र और बेटे की पत्नी के नाम पर रजिस्ट्रेशन कराया गया। इस मामले में दशरथ लाल जोशी तत्कालीन दूरसंचार गृह सहकारी समिति, सुयश कुलश्रेष्ठ आर्किटेक्ट, टाउन प्लानर के फर्जी वाले का खुलासा हुआ। जोशी और टाउन प्लानर ने मिलकर पार्क और स्लम एरिया के लिए आरक्षित जमीनों को दूसरे सदस्यों को बेच दिया।
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