भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 81 एवं भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 494 में पहला वैध रहते हुए पुनः विवाह करना एक दण्डनीय अपराध होता है और इस अपराध की शिकायत पहली पत्नी जो वैध विवाह के बंधन मे है, वह मजिस्ट्रेट से परिवाद के द्वारा कर सकती है।
IPC की धारा 495 के तहत दूसरी पत्नी को केस करने का अधिकार था
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 495 में बताया गया है कि पहला विवाह छिपाकर दूसरा विवाह करना अपराध है और यह अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय है। इस अपराध में दोषी आरोपी को अधिकतम दस साल की कारावास एवं जुर्माना का प्रावधान है। इस अपराध की शिकायत प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट से वही स्त्री कर सकती है जिसके साथ पहली शादी छिपाकर दूसरा विवाह सम्पन्न हुआ था। वर्तमान नए कानून भारतीय न्याय संहिता, 2023 में भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 495 को नए कानून BNS में हटा दिया गया है।
जानिए IPC की धारा 495 को क्यों हटाया:-
1. भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 81 एवं भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 494 में पहली शादी वैध होते हुए द्वि विवाह करना अपराध है।
2. भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 82 एवं भारतीय दण्ड संहिता की धारा 496 में कपटपूर्ण तरीके से दूसरा विवाह करना अपराध माना गया है जो भारतीय दण्ड संहिता की धारा 495 के अपराध को भी परिभाषित करता है।
इन्हीं महत्वपूर्ण दो कारणों को ध्यान मे रखते हुए नए कानून भारतीय न्याय संहिता, 2023 में भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 495 को हटा दिया गया है। लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।
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