जबलपुर स्थित हाई कोर्ट आफ मध्य प्रदेश ने स्कूल शिक्षा विभाग एवं जनजातिय कार्य विभाग में रिक्त पदों पर शिक्षकों की भर्ती कर रही नोडल एजेंसी लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल को आदेशित किया है कि वह शाला चयन वाले उम्मीदवार को 7 दिन के भीतर नियुक्ति प्रदान करें। अगली सुनवाई की तारीख 13-05-2024 निर्धारित की गई है।
DPI के अधिकारी सुनने को तैयार नहीं
दमोह निवासी यागादत्त तंतुवाय ने बताया कि वह माध्यमिक शिक्षक भर्ती 2018 में सम्मिलित हुआ। परीक्षा पास की। अपने दस्तावेज सत्यापन कराया। उसके बाद चयन सूची में नाम आया और शाला विकल्प शुल्क जमा कर नियुक्ति हेतु शाला चयन प्रक्रिया की समस्त प्रक्रिया पूर्ण की, लेकिन नियुक्ति आदेश नही आया। लोक शिक्षण संचालनालय में पूछने पर कोई जवाब नहीं मिला। निराश होकर अभ्यर्थी द्वारा अपने अधिवक्ता धीरज तिवारी के माध्यम से मध्य प्रदेश के हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत की।
अधिवक्ता द्वारा हाईकोर्ट को बताया गया SC वर्ग के 989 पदों में से 272 पद आज भी रिक्त हैं। शासन ने इस बात को स्वीकार किया और न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी की एकल पीठ ने प्रतिवादियों को 7 दिन में नोटिस जारी कर 13/05/2024 को मामले की सुनवाई नियत की।
कामना आचार्य मैडम सबको हाई कोर्ट जाने की सलाह देती है
अधिवक्ता श्री धीरज तिवारी ने बताया कि, भारतीय प्रशासनिक सेवा की महिला अधिकारी श्रीमती रश्मि अरुण शमी पिछले 8 साल से विभाग में पावरफुल पोजीशन पर है। इनके कार्यकाल में सबसे ज्यादा विवाद उपस्थित हुए और न्याय के लिए हाईकोर्ट में प्रस्तुत हुए।
1. EWS के 848 पदों का मामला।
2. OBC आरक्षण का मामला।
3. प्रथमिक शिक्षक भर्ती में BED डिग्री को नियुक्ति देने का मामला।
लगभग 190 याचिकाएँ नियुक्ति में विसंगतियों को लेकर लगाई गई है। 2018 से भर्ती प्रक्रिया देख रहीं कामना आचार्य द्वारा अभ्यर्थियों को न्याय और समाधान देने की बजाय हाईकोर्ट जाने की सलाह देती है।
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