रेलवे के निजीकरण का पहला राउंड संपन्न हो गया है। रेलवे ने पार्सल सिस्टम का निजीकरण कर दिया है। अब आपका पार्सल उसी ट्रेन से जाएगा। भारत सरकार को भी उसका उतना ही भाड़ा मिलेगा परंतु आपको ज्यादा भाड़ा देना पड़ेगा क्योंकि बुकिंग करने वाला ठेकेदार भी कमीशन कमाएगा। रेल मंडल प्रवक्ता व एसीएम नवल अग्रवाल का कहना है कि लोगों का सामान सुरक्षित तरीके से पहुंचाने व्यवस्था बदली गई है। श्री अग्रवाल के बयान का दूसरा अर्थ है कि रेलवे सामान को सुरक्षित पहुंचाने में असफल साबित हुआ है।
सबसे पहले भोपाल से हावड़ा और भोपाल से नई दिल्ली के लिए पार्सल नहीं किए गए हैं। यह पूरी प्रक्रिया चरणों में की जाएगी ताकि किसी भी प्रकार का सामूहिक विरोध का सामना न करना पड़े। भोपाल से गुजरने वाली करीब 35 से ज्यादा ट्रेनों में पार्सल बुकिंग का काम ठेकेदार को दे दिया गया है। ठेकेदार ने अपना रेट कार्ड जारी कर दिया है। छोटी मोटरसाइकिल जो 100 किलो वजन की कैटेगरी में पार्सल बुक की जाती थी अब उसे 300 किलो वजन की कैटेगरी में बुक किया जा रहा है। कुछ इस प्रकार से टैरिफ चेंज किया गया है कि, ज्यादातर ग्राहकों को पता नहीं चलेगा और किसी भी स्थिति में नाराज ग्राहकों का कोई समूह नहीं बन पाएगा।
भोपाल से रायपुर और बिलासपुर के लिए पार्सल की दर कम कर दी गई है। हालांकि इस रूट पर पार्सल की बुकिंग पहले भी नहीं आती थी। बड़ी चतुराई के साथ ठेकेदार ने उस रूट की दरों को काम किया है, जहां पर ग्राहक पहले से ही नहीं आते थे। उल्लेखनीय है कि भोपाल में हर रोज औसत 1500 पार्सल पैकेट भेजे जाते हैं और लगभग 2000 पैकेट भारत के विभिन्न इलाकों से भोपाल आते हैं।
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