मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल की पावर पॉलिटिक्स चर्चा का मुख्य बिंदु बनी हुई है। पुलिस रिपोर्ट के बाद मेडिकल करने वाले जेपी हॉस्पिटल के डॉक्टर भी दहशत में है। उन्होंने मंत्री पुत्र के हमले का शिकार हुए रेस्टोरेंट संचालक की स्पष्ट मेडिकल रिपोर्ट देने से इनकार कर दिया है। डॉक्टर को पुलिस पर भी भरोसा नहीं है। मजबूरी में पुलिस हमीदिया अस्पताल के डॉक्टर से परामर्श के विकल्प पर काम कर रही है।
डॉक्टर ने मेडिकल तो किया परंतु रिपोर्ट गोलमोल बना दी
मंत्री पुत्र अभिज्ञान पटेल के हमले से रेस्टोरेंट संचालक के सिर में गंभीर चोट आई थी। पुलिस पर आरोप लगाया गया कि आईपीसी की धारा 307 के तहत, हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया जाना चाहिए था परंतु शाहपुरा पुलिस ने ऐसा नहीं किया। इधर पुलिस का कहना था कि मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर धारा बढ़ा दी जाएगी। जब रेस्टोरेंट संचालक मेडिकल के लिए नियम अनुसार जेपी अस्पताल भेजा गया तो मंत्री की दहशत सरकारी अस्पताल में भी दिखाई दी। डॉक्टर ने ड्यूटी के कारण मेडिकल तो किया परंतु अपनी रिपोर्ट में सच लिखने की हिम्मत नहीं जुटा पाए, दूसरी तरफ झूठ भी नहीं लिखा। मेडिकल रिपोर्ट से स्पष्ट नहीं हो रहा है कि रेस्टोरेंट संचालक के सिर में लगी चोट जानलेवा थी या नहीं।
मंत्री पीड़ित पुलिस, हमीदिया अस्पताल के डॉक्टरों की शरण में
मंत्री की पॉलीटिकल पावर से पीड़ित पुलिस हमीदिया हॉस्पिटल के डॉक्टरों की शरण में है। पुलिस चाहती है कि जिस प्रकार दूसरे मामलों में डॉक्टर मेडिकल रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से लिखते हैं कि, यह चोट प्राण घातक है या नहीं। ठीक उसी प्रकार इस मामले में भी स्पष्ट रूप से लिखा जाए ताकि निर्धारित किया जा सके कि FIR में धारा 307 बढ़ाना है या नहीं।
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