मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में जंगल के नए राजा ने अपने पूरे इलाके का सीमांकन कर लिया है। उनके अनुसार जागरण लेक सिटी यूनिवर्सिटी उनके इलाके में यानी वन्य प्राणी क्षेत्र में पाई गई है, और कुछ लोगों को लगता है कि टाइगर जागरण लेक सिटी यूनिवर्सिटी के इलाके में घुस आया था। टाइगर की मौजूदगी CCTV कमरे में कैद हो गई है। जानवरों के इलाके में अपना घर बनाने वाले लोग हंगामा कर रहे हैं। चाहते हैं कि सरकार टाइगर को पड़कर पिंजरे में बंद कर दे या फिर कुछ ऐसा करके टाइगर दोबारा इस इलाके में नहीं आए। वन्य प्राणियों की रक्षा के लिए गठित वन विभाग, ऐसे लोगों की मदद कर रहा है।
इंसानों और जानवरों में कई बड़े और महत्वपूर्ण अंतर होते हैं। टाइगर जब बड़ा हो जाता है और उसे विरासत में जो भी इलाका मिलता है वह अकेला और स्वयं अपने पूरे इलाके का सीमांकन करने के लिए निकलता है। किसी तहसीलदार या पटवारी को नहीं भेजता। इस प्रक्रिया को वाइल्डलाइफ की दुनिया में "टाइगर द्वारा टेरिटरी बनाना" कहते हैं। वन विभाग के अधिकारियों ने जिस मादा टाइगर को टी-123 नाम दिया है, उनके चार युवराज अब वयस्क हो गए हैं और जंगल का कानून बिल्कुल साफ है। व्यस्त होते ही टाइगर को उसकी टेरिटरी दे दी जाती है। चारों भाइयों में बंटवारा हो गया है, और उन्होंने अपने इलाके का सीमांकन कर लिया है। बता दिया है कि इस इलाके के राजा हम हैं। स्थिति बिल्कुल साफ है, यहां हमारे कानून का नहीं, जंगल के कानून का राज है। हम इंसान उनके इलाके में घुस गए हैं।
भोपाल में जानवरों की जमीन पर इंसानों का कब्जा
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में इंसानों ने अपनी सरकार के माध्यम से जानवरों की जमीन पर कब्जा कर लिया है। इंसानों की सरकार ने यहां पर वाल्मी, शाहपुरा, चंदनपुरा, भदभदा, सूरज नगर, कलियासोत, बैरागढ़ चीचली, रातीबड़ और नीलबड़ नाम के रेजिडेंशियल एरिया डेवलप कर दिए हैं। जबकि मूल रूप से यह जमीन जानवरों की है, वन्य प्राणियों की है, यह जंगल है और जानवरों ने इंसानों की सरकार को यहां पर किसी भी प्रकार का डेवलपमेंट करने के लिए NOC नहीं दी है। यही कारण है कि इन इलाकों में टोटल 18 टाइगर के मूवमेंट चल रहे हैं। वह बता रहे हैं कि यह हमारा जंगल है, तुम्हारा खेत या कॉलोनी नहीं है। वह कह रहे हैं कि तुम अपनी कॉलोनी में वापस जाओ। हम तुम्हारे शहर में नहीं आएंगे, तुम हमारे जंगल में मत आओ।
भोपाल में टाइगर की टेरिटरी खाली करो
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में टाइगर के लिए सबसे अच्छा वातावरण है। इस दुनिया को तबाही से बचने के लिए जानवरों की सभी प्रजातियों को सुरक्षित करना जरूरी है। प्रकृति ने सभी जानवरों के लिए जंगल आरक्षित किए हैं। जानवरों ने कभी इंसानों के घरों और खेतों पर कब्जा नहीं किया परंतु इंसानों ने अपने नक्शों में जंगल को अपनी संपत्ति घोषित कर दिया और उनके इलाके में कॉलोनाइजेशन किया जा रहा है। भोज मुक्त विश्वविद्यालय और जागरण लेक सिटी यूनिवर्सिटी के अलावा भोपाल के वाइल्डलाइफ एरिय में सैकड़ो छोटे-बड़े कंस्ट्रक्शन हो गए हैं जबकि उनके इलाके में तो अपनी कार खड़ी करने की भी मनाही है। उनका इलाका तत्काल खाली किया जाना चाहिए।
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