दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 357(ग) में बताया गया है कोई भी सरकारी या प्राइवेट, केंद्र सरकार से मान्यता हो या राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त हो या कोई स्थानीय हॉस्पिटल हो या कोई मान्यता प्राप्त क्लिनिक भी ऐसिड से पीड़ित महिला या किसी भी बलात्कार की शिकार महिला का सबसे पहले तुरंत निःशुल्क इलाज करेगा एवं इसके बाद ऐसी घटना की सूचना तुरंत नजदीक थाने में या मजिस्ट्रेट को देगा। उपरोक्त अपराध से पीड़ित महिला के इलाज करने से कोई हॉस्पिटल या डाक्टर माना करता है तो उसके खिलाफ क्या कार्रवाई होगी जानिए :-
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 200 एवं भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 166ख की परिभाषा
जो कोई सरकारी या प्राइवेट हॉस्पिटल या स्थानीय अस्पताल या किसी भी सरकार से मान्यता प्राप्त क्लिनिक, किसी तेजाब से पीड़ित महिला या बलात्कार से पीड़ित महिला का इलाज नहीं करती है या कोई डाक्टर इलाज करने से मना करता तब वह व्यक्ति BNS की धारा 200 एवं IPC की धारा 166B के अंतर्गत दोषी होगा।
Bharatiya Nyaya Sanhita Section 200 or Indian Penal Code Section 166B Provision of punishment
यह अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय होते हैं अर्थात पुलिस थाने में इस अपराध की डायरेक्ट एफआईआर दर्ज नहीं होगी, पीड़ित व्यक्ति को प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद (शिकायत) दर्ज करवाना होगा। इन अपराध की सुनवाई प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है। इस अपराध के लिए अधिकतम एक वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है। लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।
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