विवाहित महिला किसी की संपत्ति नहीं होती परंतु उसकी इतनी स्वतंत्रता भी नहीं होती कि विवाह संबंध को विच्छेद किए बिना किसी भी अन्य पुरुष के साथ रिलेशन में चली जाए। एक पुराने वैज्ञानिक अनुसंधान के अनुसार, महिलाएं भावुक और संवेदनशील होती है। किसी पर भी विश्वास कर लेती है। बहकावे में आ जाती है। इसलिए ऐसी परिस्थिति के लिए रिलेशन में रहने वाले पुरुष अपराधी माना जाता है और केवल पुरुष को दंडित किया जाता है।
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 83 एवं भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 498 की परिभाषा
जो कोई व्यक्ति किसी विवाहित महिला को उसके पति के पास से या उसके किसी संरक्षक करने वाले माता पिता, भाई बहन या कोई भी रिश्तेदार के पास से बहला फुसलाकर, लालच देकर या किसी भी प्रकार से भ्रमित करके अपने साथ ले जाएगा, या ले जाने के बाद अवैध रूप से उसके साथ शारीरिक संबंध बनाएगा वह व्यक्ति BNS की धारा 83 एवं IPC की धारा 498 के अंतर्गत दोषी होगा।
Bharatiya Nyaya Sanhita Section 83 or Indian Penal Code Section 498 Provision of punishment
यह अपराध असंज्ञेय एवं ज़मानतीय होते हैं अर्थात पुलिस थाने में इस अपराध की एफआईआर दर्ज नहीं होती है। इस अपराध की शिकायत पति या महिला का संरक्षण करने वाला कोई भी व्यक्ति स्वयं न्यायालय में उपस्थित होकर किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद (शिकायत) दर्ज करवाना होगा तभी मामला संज्ञान में लिया जाएगा। इन अपराध की सुनवाई कोई भी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है। इस अपराध के लिए अधिकतम दो वर्ष की कारावास या जुर्माने या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
किसी अन्य पुरुष के लिए महिला को छुपाया, तब भी 498 का अपराधी
नारायण चंद्र दास बनाम कमलाक्षय दास एवं अन्य:- उक्त मामले मे कलकत्ता हाइकोर्ट ने अभिनिर्धारित किया कि यदि आरोपी ने किसी विवाहित महिला को इस आशय से छिपाकर या बंद करके रखा हो कि वह किसी अन्य व्यक्ति के साथ अवैध संबंध बनाए तो उस व्यक्ति को धारा 498 के अंतर्गत दोष सिद्ध किया जाएगा।
आफ्टर मैरिटल रिलेशंस में हेल्प करने वाला भी 498 का अपराधी
ज्ञानेन्द्र नाथ डे बनाम क्षितीश चंद्र देव वाद:- उक्त मामले मे न्यायालय ने यह कहा कि यदि आरोपी किसी विवाहित महिला को किसी व्यक्ति के साथ अवैध संबंध बनाने हेतु उसके पति के संरक्षण से फुसलाकर ले जाने में व्यक्तिगत रूप से सक्रिय सहायता करता है और आरोपी के बहकावे में अगर महिला तैयार हो जाती है तब भी आरोपी 498 के अपराध से दोषी होगा।
कुल मिलाकर विवाहित महिला को उसके पति अथवा संरक्षक की अनुमति के बिना अपने साथ ले जाना अथवा इस रिलेशन में किसी भी प्रकार की मदद करना भारतीय न्याय संहिता की धारा 83 अथवा भारतीय दंड संहिता की धारा 498 के तहत दंडनीय अपराध है। लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।
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