बहुत कम लोग जानते हैं कि भारत में महिलाओं को तलाक का अधिकार नहीं था। घरेलू हिंसा सामान्य बात मानी जाती थी और महिला के मायके वाले भी नजर अंदाज कर देते थे। भारत में महिलाओं पर अत्याचार की कहानियां, किसी भी दूसरे वर्ग पर अत्याचार की कहानियों से कहीं ज्यादा है लेकिन इसी अत्याचार से न्याय का जन्म हुआ। महिलाओं को अधिकार दिए जाने लगे। भारतीय कानून में संशोधन कर महिला क्रूरता को अपराध माना गया एवं भारतीय दण्ड संहिता, 1860 में वर्ष 1983 को एक नया अध्याय 20क एवं एक नई धारा 498क जोड़ी गई, ताकि क्रूरता को परिभाषित किया जा सके।
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 84 एवं भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 498-क की परिभाष
जो कोई पति या पति के नाते-रिश्तेदार होते हुए महिला के साथ क्रूरता करेगा तब वह व्यक्ति BNS की धारा 84 एवं IPC की धारा 498 क के अंतर्गत दोषी होगा।
क्रूरता शब्द से क्या तात्पर्य है जानिए:-
1. महिला के स्वास्थ्य जीवन मे संकट उत्पन्न करना।
2. महिला को मानसिक प्रताड़ित करना।
3. महिला से बार बार दहेज की माँग करना।
4. महिला के साथ मारपीट करना।
5. महिला को बिना बजह के तंग करना।
6. महिला को आत्महत्या करने के लिए उकसा देना आदि क्रूरता का अपराध होता है।
नोट:- अगर कोई पति रोज शराब पीकर रात को देर से घर आता है, और पत्नी को शराब के नशे में तंग करता है, बिना शराब के नहीं तब यह क्रूरता का अपराध नहीं होगा।
Bharatiya Nyaya Sanhita Section 84 or Indian Penal Code Section 498-क Provision of punishment
यह अपराध संज्ञेय एवं अजमानतीय होते हैं अर्थात पुलिस थाने में इस अपराध की एफआईआर दर्ज होती है या एफआईआर दर्ज न होने की स्थिति मे पीड़ित महिला प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद (शिकायत) भी दर्ज करवा सकती हैं। इन अपराध की सुनवाई प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है। इस अपराध के लिए अधिकतम तीन वर्ष की कारावास और जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।
सुशील कुमार शर्मा बनाम भारत संघ मामले मे:- सुप्रीम कोर्ट ने अभिकथन किया कि IPC की धारा 498-क का मूल उद्देश्य दहेज की कुप्रथाओं को नष्ट करना है, क्योंकि यदि इसकी अनदेखी करते हुए इसे खुला छोड़ दिया तो यह विधिक आतंकवाद का रूप धारण कर लेगा।
पत्नी को मायके छोड़ने की धमकी देना क्रूरता का अपराध
इन्द्रराज मलिक एवं अन्य बनाम श्रीमती सुनीता मलिक वाद:- उक्त वाद में पति के विरुद्ध आरोप था कि वह अपनी पत्नी को बार-बार यह धमकी देता रहता था कि यदि उसने अपने माता-पिता को संपत्ति बेचने के लिए विवश करके उसकी अनुचित माँगों को पूरा नहीं किया तो उसके पुत्र को उससे छिन कर अलग कर दिया जाएगा। न्यायालय ने इसे पत्नी के प्रति क्रूरता का अपराध माना और पति को IPC की धारा 498-क के अंतर्गत दोषी ठहराया। लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।
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